Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 Jun, 2022 11:04 AM
अनादिकाल से ही साधक भगवान श्री गणपति का विभिन्न वेद मंत्रों से पूजन करते चले आए हैं और उनकी कृपा से भक्तों के सभी कार्य निर्विघ्न सानंद सफल होते रहे हैं।
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Pratham Pujya Shri Ganesh puja benefits: अनादिकाल से ही साधक भगवान श्री गणपति का विभिन्न वेद मंत्रों से पूजन करते चले आए हैं और उनकी कृपा से भक्तों के सभी कार्य निर्विघ्न सानंद सफल होते रहे हैं। गणपति साक्षात परब्रह्म है। भले ही किसी के इष्टदेव भगवान विष्णु हों या भगवान शंकर या दुर्गा, मां गंगा लेकिन इन सभी देवताओं की उपासना की निर्विघ्न सम्पन्नता के लिए विघ्न विनाशक गणेश जी का सर्वप्रथम स्मरण परमावश्यक है।
समय-समय पर भगवान शिव, ब्रह्मा, विष्णु आदि अन्य देवताओं ने गणेश जी की आराधना की और इसका मुख्य कारण यह है कि गणेश जी की यह बड़ी अद्भुत विशेषता है कि उनका स्मरण करते ही सब विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं। सब कार्य निर्विघ्न पूर्ण हो जाते हैं, लेकिन गणेश जी की पूजा-अर्चना पद्धति के आधार पर करने से ही हमें फल की प्राप्ति होती है। इहलौकिक एवं पारलौकिक सभी कार्यों की निर्विघ्न और सानन्द सम्पन्नता का एकमात्र उपाय भगवान श्री गणेश जी की पूजा ही रही है। समस्त शुभ कार्यों के प्रारंभ में श्रीगणेश जी का अग्रपूजन हिंदू धर्म में सुप्रसिद्ध और सर्वमान्य है।
पूजन की महत्ता: गणेश जी हिंदुओं के प्राणाधार हैं। जन्म से लेकर मरणोपर्यन्त हमारा उनसे अखंड संबंध बना रहता है। प्रत्येक कार्य के आरंभ में गणेश जी का स्मरण करना आवश्यक है, कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ करते समय, कोई ग्रंथ लिखते समय सर्वप्रथम श्रीगणेशाय नम: लिखा जाता है। किसी भी देवी-देवता की पूजा करते समय अथवा यज्ञ करते समय सबसे पहले यदि श्रीगणेश पूजन नहीं किया गया तो विभिन्न प्रकार की बाधाएं आ जाती हैं।
दान-पुण्य करने से पूर्व भी भगवान श्रीगणेश का स्मरण अनिवार्य रूप से करना चाहिए। विवाह समारोह, गृह निर्माणादि व्यवसाय आरंभ करने से पूर्व श्रीगणेश जी की पूजा होती है।
प्राचीन राजमहल, दुर्ग, विशाल देवी मंदिर, अट्टालिकाओं आदि के मुख्य द्वार पर भगवान गणेश जी और लक्ष्मी जी का पूजन होता है। प्रत्येक धार्मिक और सामाजिक कार्य के लिए प्रारंभ में श्री गणेश पूजा अनिवार्य और पवित्र कृत्य है।
भगवान श्रीगणेश विघ्न विनाशक हैं एवं उनकी प्रसन्नता के अभाव में किसी भी कार्य की निर्विघ्न समाप्ति की इच्छा नहीं कर सकते। भले ही हमारे इष्ट देवता कोई भी क्यों न हों, लेकिन इन सभी देवी-देवताओं की उपासना की निर्विघ्न सम्पन्नता हेतु विघ्न विनाशक श्रीगणेश जी की आराधना एवं स्मरण किया जाता है।
सर्वत्र सफलता पाने का एकमात्र उपाय है कि कार्य प्रारंभ करने से पहले गणेश जी का स्मरण-पूजन अवश्य किया जाए। सुख-शांति की कामना हो तो हमें श्रीगणेश जी का ही आश्रय लेना होगा, तभी जीव का कल्याण संभव है।