बांग्लादेश के नए करेंसी नोटों पर छाए हिंदू-बौद्ध मंदिर ! हटाई गई  'बंगबंधु' की तस्वीर, मचा बवाल

Edited By Tanuja,Updated: 02 Jun, 2025 01:51 PM

bangladesh s new banknotes replace with temples

बांग्लादेश में एक नई बहस ने जोर पकड़ लिया है। हाल ही में जारी किए गए  नए करेंसी नोटों पर देश के संस्थापक और पहले प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर या नाम...

Dhaka: बांग्लादेश में एक नई बहस ने जोर पकड़ लिया है। हाल ही में जारी किए गए  नए करेंसी नोटों पर देश के संस्थापक और पहले प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर या नाम  नदारद  है। उनकी जगह पर हिंदू और बौद्ध धार्मिक स्थलों की तस्वीरें प्रमुखता से लगाई गई हैं, जिससे  राजनीतिक हलकों में हलचल  और  सामाजिक बहस तेज हो गई है।

 

 क्या है मामला ?
बांग्लादेश बैंक ने हाल ही में 10, 20 और 100 टका (Bangladeshi Taka) के कुछ नए स्मारक नोट और सिक्के  जारी किए हैं। इन नोटों पर  बौद्ध धर्मस्थल जैसे कि रंगमती का बौद्ध मंदिर, हिंदू मंदिर  जैसे कि जशोरे का काली मंदिर और कुछ ऐतिहासिक विरासत स्थल दर्शाए गए हैं। हैरानी की बात ये है कि  शेख मुजीबुर रहमान जिन्हें "बंगबंधु" के नाम से जाना जाता है और जो प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता भी हैं, उनका  नाम या चित्र इन नए नोटों पर नहीं है जबकि अब तक उनके चित्र लगभग हर बांग्लादेशी करेंसी नोट पर अनिवार्य रूप से मौजूद रहे हैं।

PunjabKesari

शेख मुजीब का ऐतिहासिक महत्व
शेख मुजीबुर रहमान ने 1971 में  पाकिस्तान से बांग्लादेश को अलग करने  और स्वतंत्र राष्ट्र बनाने में निर्णायक भूमिका निभाई थी। उन्हें  "बांग्लादेश का जनक" (Father of the Nation) कहा जाता है। उनकी बेटी शेख हसीना आज  बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं और उनकी सरकार लंबे समय से उनके योगदान को हर सरकारी दस्तावेज और प्रतीक में जगह देती रही है।

 

विपक्ष और आलोचकों की प्रतिक्रिया
कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बदलाव के पीछे कोई नया राजनीतिक एजेंडा या धार्मिक संतुलन स्थापित करने की कोशिश हो सकती है।कुछ आलोचकों ने इसे इस्लामी चरमपंथियों को शांत करने की रणनीति भी कहा है, क्योंकि शेख मुजीब की छवि को कई कट्टरपंथी मुस्लिम समूहों ने लेकर आपत्ति जताई थी।


 धार्मिक विविधता दिखाने का प्रयास या विवाद?
सरकार की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक सफाई नहीं आई है, लेकिन बांग्लादेश बैंक के अधिकारियों का कहना है कि यह कदम देश की  धार्मिक विविधता और संस्कृति को सम्मान देने के उद्देश्य से उठाया गया है। हालांकि, शेख मुजीब के समर्थक इसे एक "ऐतिहासिक भूल" मान रहे हैं और सोशल मीडिया पर इसे लेकर काफी नाराज़गी देखी जा रही है। बांग्लादेश की करेंसी पर हिंदू और बौद्ध मंदिरों की झलक ने जहां एक तरफ देश की धार्मिक सहिष्णुता और विरासत को दिखाया है, वहीं शेख मुजीबुर रहमान की गैर-मौजूदगी ने एक राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर सरकार क्या रुख अपनाती है और क्या शेख मुजीब को फिर से करेंसी पर वापस लाया जाएगा या नहीं। 
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!