Edited By Tanuja,Updated: 25 Oct, 2025 05:16 PM

पाकिस्तान में लश्कर-जैश के मंचों पर हमास के समर्थन से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां चिंतित हैं। ढाका में अमेरिकी अधिकारी की रहस्यमयी मौत ने शक और जांच दोनों को जन्म दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटनाक्रम दक्षिण एशिया में बढ़ती अस्थिरता और...
International Desk: पाकिस्तान में हाल के दिनों में फिलीस्तीनी संगठन हमास के प्रति बढ़ते सार्वजनिक समर्थन को लेकर अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां चिंतित हैं। बताया जा रहा है कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के मंचों पर हमास के लिए खुला समर्थन जताया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रुझान दक्षिण एशिया में कट्टरपंथी नेटवर्क के पुनर्जीवन का संकेत हो सकता है।
रिपोर्टों के मुताबिक, पाकिस्तान के कई धार्मिक समूहों ने गाजा युद्ध को लेकर सार्वजनिक सभाएं की हैं और इजराइल विरोधी नारे लगाए हैं। सुरक्षा एजेंसियां आशंका जता रही हैं कि ऐसे आयोजन कश्मीर घाटी में हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्रेरणा बन सकते हैं। इसी बीच, अमेरिकी सुरक्षा अधिकारी टेरेंस अर्वेल जैक्सन की 31 अगस्त को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि स्थानीय प्रशासन ने इसे प्रारंभिक रूप से "अस्वाभाविक मृत्यु" कहा है, लेकिन मामले की जांच जारी है।
भारतीय और रूसी मीडिया के कुछ हिस्सों में इस मौत को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं जिनमें इसे भारत के खिलाफ किसी कथित गुप्त मिशन से जोड़ने के दावे भी शामिल हैं इन दावों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है और भारतीय या अमेरिकी सरकार ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया तियानजिन यात्रा और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ उनकी मुलाकात को लेकर भी मीडिया में कई व्याख्याएं की जा रही हैं। विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा वैश्विक हालात को देखते हुए भारत, रूस और अमेरिका के बीच खुफिया सहयोग और संवाद बेहद संवेदनशील दौर में हैं।
अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान में बढ़ती कट्टरपंथी लामबंदी और हमास के प्रति खुला समर्थन, भारत सहित दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए एक नई चुनौती बन सकता है। पाकिस्तान में लश्कर-जैश के मंचों पर हमास के समर्थन से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां चिंतित हैं। ढाका में अमेरिकी अधिकारी की रहस्यमयी मौत ने शक और जांच दोनों को जन्म दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटनाक्रम दक्षिण एशिया में बढ़ती अस्थिरता और कट्टरपंथी गतिविधियों का संकेत हो सकता है।