पाकिस्तान से बढ़ती नजदीकियां,अरुणाचल पर चीन का दावा...पेंटागन की रिपोर्ट ने कैसे बढ़ाई भारत की टेंशन?

Edited By Updated: 26 Dec, 2025 05:43 AM

how did the pentagon report increase india s tension

अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन ने चीन को लेकर एक अहम रिपोर्ट जारी की है, जिसने भारत की सुरक्षा चिंताओं को और बढ़ा दिया है।

इंटरनेशनल डेस्कः अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन ने चीन को लेकर एक अहम रिपोर्ट जारी की है, जिसने भारत की सुरक्षा चिंताओं को और बढ़ा दिया है। यह रिपोर्ट मंगलवार, 23 दिसंबर 2025 को सामने आई। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन, अमेरिका और भारत के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। इस रिपोर्ट में चीन के पाकिस्तान के साथ गहरे होते सैन्य रिश्तों, तेजी से बढ़ते परमाणु हथियारों और अरुणाचल प्रदेश पर उसके दावे को लेकर भी गंभीर बातें कही गई हैं।

भारत को क्यों साधने की कोशिश कर रहा है चीन?

पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, चीन अरुणाचल प्रदेश को लेकर अपने पुराने दावे को फिर से दोहरा रहा है। चीन अरुणाचल को अपने तथाकथित “मुख्य हितों” में शामिल मानता है। बीजिंग इसे “जांगनान, तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा” बताता है, जबकि भारत इस दावे को सिरे से खारिज करता रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन का भारत के प्रति नरम रुख दिखाना असल में उसकी रणनीतिक मजबूरी है। उसे चिंता है कि भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती नजदीकियां भविष्य में उसके लिए बड़ा खतरा बन सकती हैं। इसी वजह से चीन LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर तनाव कम दिखाकर भारत को अमेरिका से दूर रखने की कोशिश कर रहा है।

अमेरिका-भारत साझेदारी से चीन क्यों परेशान है?

पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का जवाब मान रहा है। यही वजह है कि अमेरिका और भारत के बीच रक्षा, तकनीक और रणनीति को लेकर सहयोग लगातार बढ़ा है। पेंटागन की रिपोर्ट बताती है कि चीन को उम्मीद है कि अगर वह भारत से कूटनीतिक रिश्ते बेहतर दिखाए, तो भारत-अमेरिका गठबंधन ज्यादा मजबूत नहीं होगा।

गलवान झड़प के बाद बिगड़े थे रिश्ते

साल 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन ने भी अपने चार सैनिकों के मारे जाने की बात मानी थी। इसके बाद दोनों देशों के रिश्ते काफी खराब हो गए। हालांकि इस गतिरोध को खत्म करने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई दौर की बातचीत हुई, लेकिन डेपसांग और डेमचोक जैसे इलाके अब भी विवादित बने हुए हैं।

LAC पर तनाव कम, लेकिन भरोसा अब भी नहीं

रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर 2024 में भारत और चीन ने LAC पर गश्ती व्यवस्था को लेकर सहमति बनाई थी, जिसके बाद पूर्वी लद्दाख से सेनाओं की आंशिक वापसी हुई। इसका असर यह हुआ कि रूस के कजान में BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात संभव हो पाई। यह साल 2020 के बाद दोनों नेताओं की पहली औपचारिक बातचीत थी। इस बैठक में LAC पर शांति बनाए रखने, सीधी उड़ानों और वीजा सेवाओं को फिर से शुरू करने जैसे मुद्दों पर सहमति बनी। हालांकि पेंटागन ने साफ कहा है कि भारत चीन के इरादों को लेकर पूरी तरह सतर्क है और दोनों देशों के बीच गहरा अविश्वास अब भी मौजूद है।

अरुणाचल पर चीन का रुख क्या कहता है?

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने अपने “मुख्य हितों” की परिभाषा को और विस्तार दिया है। इसमें अब ताइवान, अरुणाचल प्रदेश, लगभग पूरा दक्षिण चीन सागर और सेनकाकू द्वीप समूह को शामिल किया गया है।

पेंटागन के अनुसार, चीन मानता है कि राष्ट्रीय पुनरुत्थान के लिए तीन बातों पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता:
1️⃣ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का नियंत्रण
2️⃣ तेज आर्थिक विकास
3️⃣ क्षेत्रीय दावों की रक्षा और विस्तार

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