Edited By Harman Kaur,Updated: 20 Jun, 2025 04:26 PM

बीते आठ दिनों से ईरान और इजरायल के बीच युद्ध जारी है। दोनों देशों ने एक-दूसरे को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। इस बीच International Atomic Energy Agency (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रोसी के बयान ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है।
इंटरनेशनल डेस्क: बीते आठ दिनों से ईरान और इजरायल के बीच युद्ध जारी है। दोनों देशों ने एक-दूसरे को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। इस बीच International Atomic Energy Agency (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रोसी के बयान ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। ग्रोसी ने पहले कहा था कि ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियार बना रहा है, लेकिन इसके सबूत नहीं मिले रहे हैं। वहीं, अब वे अपने ही बयान से पलट गया है। हाल ही में उसने कहा कि IAEA को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे यह साबित हो सके कि ईरान परमाणु हथियार विकसित कर रहा है।
क्या कहा IAEA प्रमुख राफेल ग्रोसी ने?
ग्रोसी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, 'उपग्रह चित्रों और जांच के बाद हमें ऐसा कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है कि ईरान अपने परमाणु संयंत्रों में हथियार निर्माण कर रहा है। जिन स्थानों को इजरायल ने टारगेट किया, वहां रेडिएशन के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं।' यह वही बयान है जिसके ठीक उलट पहले IAEA की रिपोर्ट और ग्रोसी के बयान के आधार पर इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर हमला शुरू किया था। इजरायल ने दावा किया था कि उसने ईरान की परमाणु साइट्स को तबाह करने के लिए हवाई हमले किए हैं।
ईरान का जवाबी हमला
इजरायल के हमले के बाद ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई की। उसने कई इजरायली शहरों पर मिसाइल दागी, जिसमें एक अस्पताल भी निशाना बना। इस हमले में कई लोग घायल हो गए हैं। ईरान का कहना है कि यह कार्रवाई आत्मरक्षा में की गई है।
ईरान की नाराज़गी – IAEA की देरी ने युद्ध को जन्म दिया
IAEA प्रमुख के पलटते बयान पर ईरान ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा, 'IAEA की पहली रिपोर्ट के कारण ही इजरायल ने हम पर हमला किया। अब बहुत देर हो चुकी है और युद्ध शुरू हो चुका है, तो एजेंसी कह रही है कि उसके पास कोई सबूत नहीं है।' ईरान का आरोप है कि एजेंसी की गैर-ज़िम्मेदाराना रिपोर्टिंग और समय पर स्पष्टीकरण न देना इस युद्ध का कारण बनी है। ईरानी अधिकारियों का कहना है कि यदि पहले ही स्थिति स्पष्ट होती, तो इतनी तबाही नहीं होती।
अमेरिका की भूमिका पर नजर
इस पूरे मामले में अमेरिका की भूमिका पर भी नजर बनी हुई है। अमेरिका पहले ही ईरान को कई बार चेतावनी दे चुका है और इजरायल का समर्थन कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका इस युद्ध में सक्रिय भूमिका निभा सकता है।
अब तक कितना नुकसान?
- ईरान के कई परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हुए हमला
- इजरायल के अस्पताल समेत कई नागरिक ठिकानों पर हुए मिसाइल हमले
- हजारों लोग घायल, सैकड़ों की मौत की आशंका
- युद्ध कब थमेगा, कहना मुश्किल