NASA अपने एस्ट्रोनॉट्स को टॉयलेट कराने पर खर्च कर देता है इतने करोड़ रुपए

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 20 Mar, 2025 05:18 PM

nasa spends so many crores on providing toilet facilities to its astronauts

जब हम अंतरिक्ष यात्रा के बारे में सोचते हैं, तो अक्सर हमें रोमांचक दृश्य और तकनीकी अचंभों की याद आती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट्स की सामान्य ज़िंदगी की सुविधाओं पर कितना खर्च आता है? NASA, जो अंतरिक्ष यात्रा की सबसे...

इंटरनेशनल डेस्क: जब हम अंतरिक्ष यात्रा के बारे में सोचते हैं, तो अक्सर हमें रोमांचक दृश्य और तकनीकी अचंभों की याद आती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट्स की सामान्य ज़िंदगी की सुविधाओं पर कितना खर्च आता है? NASA, जो अंतरिक्ष यात्रा की सबसे प्रमुख एजेंसियों में से एक है, अपने एस्ट्रोनॉट्स की जीवन प्रणाली और जरूरतों पर भारी खर्च करता है। हाल ही में एक रिपोर्ट ने यह खुलासा किया है कि NASA अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर एस्ट्रोनॉट्स के लिए टॉयलेट और अन्य जीवन प्रणाली पर हर साल लगभग 35 करोड़ रुपये खर्च करता है।

नासा का खर्च क्या है?

नासा का यह खर्च सिर्फ टॉयलेट तक सीमित नहीं है। ISS में एस्ट्रोनॉट्स के जीवन को सुविधाजनक बनाने के लिए कई उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इनमें से एक प्रमुख तकनीक है यूरिन (पेशाब) को रिसाइकिल करके उसे पीने योग्य पानी में बदलना। यह तकनीक न सिर्फ पानी की बचत करती है, बल्कि अंतरिक्ष यात्रियों को ताजे पानी की आपूर्ति भी करती है। इसके अलावा, पानी के अणुओं को बिजली की मदद से अलग करके ऑक्सीजन और हाइड्रोजन बनाने का भी प्रबंध किया जाता है।

यूरिन से पानी बनाने की प्रक्रिया

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पानी का सबसे बड़ा स्रोत एस्ट्रोनॉट्स का यूरिन है। इस यूरिन को विशेष प्रक्रिया से रिसायकल किया जाता है ताकि इसे पीने योग्य बनाया जा सके। यह प्रक्रिया बेहद जटिल होती है, और इसमें कई फिल्टर और तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि यूरिन को साफ करके ताजे पानी में बदला जा सके। इस प्रक्रिया से न केवल पानी की बचत होती है, बल्कि अंतरिक्ष में रहने वालों के लिए पानी की कोई कमी नहीं होती।

ISS पर ऑक्सीजन का निर्माण कैसे होता है?

अंतरिक्ष स्टेशन में ऑक्सीजन का निर्माण एक अत्याधुनिक तकनीक के द्वारा किया जाता है। यहां पानी के अणुओं को विद्युत ऊर्जा के माध्यम से अलग किया जाता है, जिससे ऑक्सीजन और हाइड्रोजन उत्पन्न होते हैं। यह प्रक्रिया न केवल एस्ट्रोनॉट्स के लिए सांस लेने योग्य हवा का निर्माण करती है, बल्कि हाइड्रोजन को अन्य उद्देश्यों के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।

कार्बन डाइऑक्साइड को ऑक्सीजन में बदलना

ISS पर एक और महत्वपूर्ण तकनीक का इस्तेमाल होता है, जो कार्बन डाइऑक्साइड को ऑक्सीजन में बदलने का काम करती है। एस्ट्रोनॉट्स द्वारा छोड़ा गया कार्बन डाइऑक्साइड, जो आमतौर पर हवा में मिला रहता है, उसे विशिष्ट उपकरणों के माध्यम से ऑक्सीजन में बदला जाता है, ताकि एस्ट्रोनॉट्स को ताजे और शुद्ध हवा का सेवन मिल सके। यह प्रणाली एक प्रकार से जीवनदायिनी है, क्योंकि इसके बिना अंतरिक्ष में लंबी अवधि तक रह पाना संभव नहीं होता।

क्यों आता है इतना खर्च?

NASA के इन उच्च-तकनीकी उपायों और जीवन प्रणाली की वजह से इतना खर्च होता है। टॉयलेट, पानी, ऑक्सीजन, और अन्य जीवनदायिनी प्रणालियों को सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का विकास और रखरखाव किया जाता है। इसके अलावा, इन प्रणालियों की मरम्मत, अपग्रेडेशन और नियमित परीक्षण की लागत भी इस खर्च का हिस्सा होती है।

 

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