Edited By Tanuja,Updated: 24 Dec, 2025 07:09 PM

गाजा संकट को पाकिस्तान ने कूटनीतिक और सैन्य मौके में बदलने की कोशिश शुरू कर दी है। इस्लामाबाद अंतरराष्ट्रीय शांति बल का नेतृत्व चाहता है और इसके बदले अमेरिका व अरब देशों से आर्थिक-सुरक्षा पैकेज मांग रहा है। भारत-इजरायल रिश्तों से पाकिस्तान डरा हुआ...
International Desk: गाजा में जारी तबाही और युद्ध के बीच पाकिस्तान को इसमें भी अपना रणनीतिक फायदा दिखने लगा है। इस्लामाबाद अब गाजा को “स्थिर” करने के लिए प्रस्तावित इंटरनेशनल स्टैबलाइजेशन फोर्स (ISF) में न सिर्फ शामिल होना चाहता है, बल्कि उसकी कमान भी अपने हाथ में लेने की कोशिश कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान चाहता है कि इस अंतरराष्ट्रीय शांति बल का नेतृत्व एक वरिष्ठ पाकिस्तानी जनरल करे। सरल शब्दों में कहें तो अगर गाजा में अंतरराष्ट्रीय शांति सेना उतरती है, तो पाकिस्तान उसकी कमांड चाहता है। हालांकि इसके बदले उसने कई सख्त शर्तें भी रख दी हैं।
पाकिस्तान की शर्तें
पाकिस्तान की सबसे बड़ी शर्त है कि टू-स्टेट सॉल्यूशन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पष्ट रूप से स्वीकार किया जाए और एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राष्ट्र की गारंटी दी जाए। इसके अलावा, पाकिस्तान ने साफ कहा है कि उसकी भूमिका केवल शांति बनाए रखने और हालात को स्थिर करने तक सीमित रहेगी, न कि हथियारों की जब्ती या आक्रामक सैन्य कार्रवाई तक।सूत्र बताते हैं कि पाकिस्तान इस मिशन के लिए अमेरिका के साथ-साथ सऊदी अरब, यूएई, कतर और मिस्र जैसे अरब देशों का सामूहिक समर्थन चाहता है। आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान ने इसके बदले लंबी अवधि के आर्थिक और सुरक्षा पैकेज की मांग भी रखी है।
अमेरिका से क्या मांग रहे आसिम मुनीर?
गाजा मिशन के बहाने पाकिस्तान अमेरिका से पुराने फायदे भी वापस चाहता है। इस्लामाबाद ने अमेरिका से अपना ‘मेजर नॉन-नाटो एलाय’ (MNNA) दर्जा बहाल करने की मांग की है। यह दर्जा पाकिस्तान को 2004 में मिला था, जिससे उसे अमेरिकी सेना के साथ उन्नत सैन्य सहयोग और आधुनिक हथियारों तक पहुंच मिलती थी, लेकिन हाल के वर्षों में यह सहयोग काफी कमजोर पड़ा है। अमेरिकी और पाकिस्तानी रक्षा अधिकारियों के बीच गाजा को लेकर लगातार बातचीत चल रही है। जल्द ही पाक सेना प्रमुख आसिम मुनीर और अमेरिकी सेंटकॉम कमांडर की मुलाकात संभव है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के इस्लामाबाद दौरे की अटकलें भी तेज हैं।
इजरायल और भारत से खौफ क्यों ?
इस पूरे प्लान में एक संवेदनशील पहलू यह भी है कि पाकिस्तान ने मिशन में शामिल होने से पहले इजरायल से सुरक्षा आश्वासन मांगा है। इसकी वजह इजरायल और भारत के मजबूत रणनीतिक रिश्ते बताए जा रहे हैं। पाकिस्तान चाहता है कि ISF के लिए एक साझा कोऑर्डिनेशन हेडक्वार्टर बने, जिसमें अमेरिका, इजरायल और अन्य बड़े देश शामिल हों।विश्लेषकों के मुताबिक, गाजा को लेकर यह पूरी कवायद पाकिस्तान की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए वह खुद को फिर से मध्य पूर्व में एक प्रभावशाली सैन्य-राजनीतिक ताकत के रूप में पेश करना चाहता है। हाल के महीनों में पाक सेना प्रमुख की सऊदी अरब, जॉर्डन, मिस्र और लीबिया यात्राओं को भी इसी दिशा में देखा जा रहा है। फिलहाल बातचीत शुरुआती दौर में है, लेकिन इतना साफ है कि गाजा संकट को लेकर पाकिस्तान अब सिर्फ बयानबाजी नहीं, बल्कि नेतृत्व और सौदेबाज़ी की राजनीति खेल रहा है।