धरती के नीचे छिपा है एक अनदेखा जीवन! चीन और कनाडा के वैज्ञानिकों की चौंकाने वाली खोज

Edited By Updated: 04 Aug, 2025 10:00 PM

there is an unseen life hidden beneath the earth

जहां एक ओर दुनिया मंगल ग्रह और अन्य ग्रहों पर जीवन की तलाश में अरबों डॉलर खर्च कर रही है, वहीं चीन और कनाडा के वैज्ञानिकों की एक अभूतपूर्व खोज ने पृथ्वी के अंदर छिपे जीवन की परतें खोल दी हैं। यह अध्ययन यह साबित करता है कि हमारी धरती की गहराईयों...

इंटरनेशनल डेस्कः जहां एक ओर दुनिया मंगल ग्रह और अन्य ग्रहों पर जीवन की तलाश में अरबों डॉलर खर्च कर रही है, वहीं चीन और कनाडा के वैज्ञानिकों की एक अभूतपूर्व खोज ने पृथ्वी के अंदर छिपे जीवन की परतें खोल दी हैं। यह अध्ययन यह साबित करता है कि हमारी धरती की गहराईयों में—जहां न तो सूर्य की रोशनी पहुंची है, न ही जीवन के लिए पारंपरिक शर्तें मौजूद हैं—एक विशाल और सक्रिय जीवनमंडल (biosphere) मौजूद है।

सूरज की रोशनी के बिना पनपता जीवन

चीनी विज्ञान अकादमी के गुआंगझोउ इंस्टीट्यूट ऑफ जियोकेमिस्ट्री (GIG) के प्रोफेसर झू जियानक्सी और हे होंगपिंग ने कनाडा के अल्बर्टा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कर्ट कोनहॉसर के साथ मिलकर यह शोध किया। उनका निष्कर्ष है कि पृथ्वी की गहराइयों में मौजूद सूक्ष्मजीव (microbes)—जिनमें प्रमुख रूप से प्रोकैरियोट्स (prokaryotes) होते हैं—सूरज की रोशनी की बजाय भूगर्भीय घटनाओं से मिलने वाली ऊर्जा पर निर्भर करते हैं।

इन जीवों की संख्या इतनी अधिक है कि वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि ये पृथ्वी के कुल जीवों की 95% तक आबादी का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। ये सभी एककोशिकीय जीव होते हैं, जिनमें झिल्ली-बद्ध कोशिकांगों की अनुपस्थिति के कारण इन्हें प्राचीन और आदिम जीवन रूप माना जाता है।

कैसे जिंदा रहते हैं ये जीवन रूप?

शोधकर्ताओं ने पाया कि धरती के नीचे जब भूकंप आते हैं, तो चट्टानों में दरारें उत्पन्न होती हैं। जब इन दरारों से पानी गुजरता है, तो यह चट्टानों के साथ रासायनिक अभिक्रिया करता है, जिससे हाइड्रोजन गैस और प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन जैसी ऊर्जा-युक्त यौगिक उत्पन्न होते हैं। इनसे इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह शुरू होता है, जो सूक्ष्मजीवों की जैविक क्रियाओं को संचालित करता है।

शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में पृथ्वी के सामान्य सिलिकेट खनिज "क्वार्ट्ज़" के साथ यह प्रक्रिया दोहराई। उन्होंने पाया कि जब क्वार्ट्ज़ पर तनाव पड़ता है और वह टूटता है, तब उसकी सतह जल के संपर्क में आकर हाइड्रोजन और ऑक्सीजन यौगिकों का निर्माण करती है। यह प्रक्रिया भूमिगत जीवन के लिए ऊर्जा प्रदान करती है, बिलकुल किसी बैटरी की तरह।

गहराई में जीवन का अनूठा फायदा

पृथ्वी की सतह से कई किलोमीटर नीचे स्थित यह जीवन अनेक खतरों से सुरक्षित है। जैसे कि:

  • पराबैंगनी विकिरण (UV radiation) का असर नहीं होता,

  • क्षुद्रग्रहों की टक्कर जैसी विनाशकारी घटनाएं इसका जीवन चक्र नहीं तोड़तीं,

  • और ये जीव उच्च तापमान, अत्यधिक दबाव और विषम रासायनिक परिस्थितियों में भी पनप सकते हैं।

यह सब संकेत करता है कि भूमिगत जीवन न केवल संभव है, बल्कि यह पृथ्वी के इतिहास में जीवन की उत्पत्ति का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी हो सकता है।

स्पेस एक्सप्लोरेशन के लिए नई दिशा

इस खोज का सबसे बड़ा वैज्ञानिक महत्व यह है कि अगर पृथ्वी की सतह के नीचे जीवन पनप सकता है, तो मंगल, यूरोपा (बृहस्पति का चंद्रमा), एन्सेलाडस (शनि का चंद्रमा) जैसे खगोलीय पिंडों पर भी इसी तरह के भूमिगत जीवन की संभावना बलवती होती है। इन स्थलों पर भी सतह के नीचे बर्फ, जल और चट्टानों के बीच ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है।

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