कुरान की बेअदबी के खिलाफ संरा की मानवाधिकार संस्था ने प्रस्ताव पारित किया, भारत का समर्थन

Edited By rajesh kumar,Updated: 12 Jul, 2023 08:56 PM

un human rights body passes resolution against desecration of quran

संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष मानवाधिकार संस्था ने यूरोप में कुरान जलाने की घटनाओं के मद्देनजर धार्मिक घृणा को रोकने के लिए देशों से और अधिक प्रयास करने का आह्वान करने वाले एक प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी, जिसका भारत ने समर्थन किया।

इंटरनेशनल डेस्क: संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष मानवाधिकार संस्था ने यूरोप में कुरान जलाने की घटनाओं के मद्देनजर धार्मिक घृणा को रोकने के लिए देशों से और अधिक प्रयास करने का आह्वान करने वाले एक प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी, जिसका भारत ने समर्थन किया। पश्चिमी देश इस पर आपत्ति जता रहे थे और उन्हें आशंका थी कि सरकारों के कड़े कदम अभिव्यक्ति की आजादी को अवरुद्ध कर सकते हैं।

जिनेवा में 47 सदस्यी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचसीआर) ने पाकिस्तान और फलस्तीन द्वारा लाए गए एक प्रस्ताव को बुधवार को 12 के मुकाबले 28 वोट से मंजूर कर लिया। सात सदस्य मतदान में अनुपस्थित रहे। भारत ने उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया जो "पवित्र कुरान के अपमान के हालिया सार्वजनिक और पूर्व-निर्धारित कृत्यों की निंदा करता है और दृढ़ता से खारिज करता है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून से उत्पन्न देशों के दायित्वों के अनुरूप धार्मिक घृणा के इन कृत्यों के अपराधियों को जिम्मेदार ठहराने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।"

प्रस्ताव पारित होते ही मानवाधिकार परिषद के सदन में तालियां बजने लगीं। अफ्रीका के कई विकासशील देशों के साथ-साथ चीन तथा पश्चिम एशियाई देशों ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया है। इनमें बांग्लादेश, क्यूबा, मलेशिया, मालदीव, कतर, यूक्रेन और संयुक्त अरब अमीरात हैं। प्रस्ताव के विरोध में मतदान करने वाले देशों में बेल्जियम, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और अमेरिका हैं। यूरोप के कुछ हिस्सों में कुरान जलाये जाने की हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में यह प्रस्ताव आया है।

इस प्रस्ताव में देशों से भेदभाव, शत्रुता या हिंसा को उकसाने वाले धार्मिक घृणा के कृत्यों और उसकी हिमायत को रोकने तथा अभियोजन के लिए कदम उठाने का आह्वान किया गया है। पाकिस्तान के राजदूत खलील हाशमी ने मतदान के बाद इस बात पर जोर दिया कि इस प्रस्ताव में बोलने की आजादी के अधिकार को अवरुद्ध करने की कोई बात नहीं है बल्कि यह अभिव्यक्ति की आजादी और विशेष जिम्मेदारियों के बीच विवेकपूर्ण संतुलन की कोशिश करता है।

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