PM इमरान बोले- अमेरिका ने अफगानिस्तान में बिगाड़े हालात, तालिबान के हक में कही बड़ी बात

Edited By Updated: 29 Jul, 2021 11:14 AM

us really messed it up in afghanistan says pm imran khan

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अफगानिस्तान में बिगड़े हालात के लिए सीधे तौर पर अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है। इमरान खान ने तालिबान के साथ राजनीतिक समाधान ढूढने की...

इस्लामाबादः पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अफगानिस्तान में  बिगड़े हालात के लिए सीधे तौर पर अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है।  इमरान खान ने तालिबान के साथ राजनीतिक समाधान ढूढने की कोशिश को लेकर अमेरिका की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि  अमेरिका ने  ‘‘वाकई  अफगानिस्तान में  चीजें अस्त-व्यस्त कर दी है। '' खान ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति का एकमात्र बेहतर समाधान राजनीतिक समझौता ही है जो ‘समावेशी' हो और इसमें ‘‘तालिबान समेत सभी गुट शामिल हो। ''

 

डॉन अखबार के अनुसार खान ने  मंगलवार रात प्रसारित  पीबीएस आवर में जूडी वुडरफ के साथ साक्षात्कार के दौरान  इमरान ने कहा,‘‘मैं समझता हूं कि अमेरिका ने वाकई वहां चीजें अस्त-व्यस्त कर दी है।' तालिबान के साथ हुए करार के तहत अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी देश आतंकवादियों के इस वादे के बदले अपने सभी सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमत हो गए कि वे चरमपंथी संगठनों को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में अपनी गतिविधियां चलाने से रोकेंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोषणा की कि अमेरिकी सैनिक 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से बुला लिए जाएंगे। खान ने ‘‘अफगानिस्तान में सैन्य हल ढूढने की कोशिश के लिए अमेरिका की आलोचना की क्योंकि कभी वैसा कुछ ऐसा  संभव  था ही नहीं।''

 

उन्होंने कहा कि मुझ जैसे जो लोग यह कहते रहे कि कोई सैन्य समाधान नहीं संभव है, क्योंकि हमें अफगानिस्तान का इतिहास मालूम था, तब हमें -- मुझ जैसे लोगों को अमेरिका-विरोधी कहा गया। मुझे तालिबान खान कहा गया। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि जबतक अमेरिका को यह अहसास हुआ कि अफगानिस्तान में कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता तबतक ‘दुर्भाग्य से अमेरिकियों एवं नाटो की मोल-भाव की शक्ति चली गई।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेरिका को बहुत पहले ही राजनीतिक समाधान का विकल्प चुनना चाहिए था जब अफगानिस्तान में नाटो के डेढ़ लाख सैनिक थे।

 

उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन एक बार जब उन्होंने सैनिकों की संख्या घटाकर महज 10000 कर दी तब , जब उन्होंने वापसी की तारीख बता दी, तब तालिबान ने सोचा कि वे तो जीत गये। इसलिए अब उन्हें समझौते के लिए साथ लाना बड़ा मुश्किल है।'' जब साक्षात्कारकर्ता ने पूछा गया  किया क्या वह सोचते हैं कि तालिबान का उभार अफगानिस्तान के लिए एक सकारात्मक कदम है तो प्रधानमंत्री ने दोहराया कि केवल अच्छा नतीजा राजनीतिक समझौता होगा ‘‘जो समावेशी हो।'' उन्होंने कहा, ‘‘ निश्चित ही, तालिबान सरकार का हिस्सा होगा।'' अफगानिस्तान में गृह युद्ध के संदर्भ में खान ने कहा, ‘‘ पाकिस्तान के दृष्टिकोण से यह सबसे बुरी स्थिति है क्योंकि हमारे समक्ष दो परिदृश्य है, उनमें एक शरणार्थी समस्या है।''

 

उन्होंने कहा, ‘‘ पहले से ही, पाकिस्तान 30 लाख से अधिक शरणार्थियों को शरण दे रहा है। और हमारा डर है कि गृहयुद्ध लंबा खिंचने से और शरणार्थी आयेंगे। हमारी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि हम और प्रवासियों को झेल पाएं।'' उन्होंने कहा कि दूसरी समस्या के तहत गृहयुद्ध के सीमा पार करके पाकिस्तान पहुंचने का डर है। उन्होंने कहा कि दरअसल तालिबान जातीय रूप से पश्तून हैं और ‘‘यदि यह (अफगानिस्तान के गृहयुद्ध एवं हिंसा) जारी रहता है तो हमारे ओर के पश्तून उसमें खिंचे चले जायेंगे।'' 


 

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