Edited By Yaspal,Updated: 31 Jan, 2023 07:05 PM

केंद्र सरकार ने बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन कानून, 2016 के कई प्रावधानों को रद्द करने वाले फैसले की समीक्षा करने की उसकी याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से खुली अदालत में सुनवाई करने का अनुरोध किया
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन कानून, 2016 के कई प्रावधानों को रद्द करने वाले फैसले की समीक्षा करने की उसकी याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से खुली अदालत में सुनवाई करने का अनुरोध किया। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ से अनुरोध किया कि मामले की महत्ता को ध्यान में रखते हुए पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई की जाए।
मेहता ने कहा, ‘‘यह एक असामान्य अनुरोध है। हम फैसले की समीक्षा की खुली अदालत में सुनवाई करने का अनुरोध करते हैं। इस फैसले के कारण कई आदेश पारित किए जा रहे हैं जबकि बेनामी कानून के कुछ प्रावधानों को चुनौती तक नहीं दी गयी है।'' इस पर सीजेआई ने कहा, ‘‘हम इस पर विचार करेंगे।''
शीर्ष न्यायालय ने पिछले साल 23 अगस्त को बेनामी कानून के कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया था। इनमें से एक प्रावधान के तहत ‘बेनामी' लेनदेन में शामिल होने पर तीन साल की अधिकतम जेल की सजा या जुर्माना या दोनों सजा दी जा सकती थी। सुप्रीम कोर्ट ने ‘‘स्पष्ट रूप से मनमाना'' होने के आधार पर इस प्रावधान को ‘‘असंवैधानिक'' करार दिया था। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि बेनामी लेनदेन (निषेध) कानून, 1988 की धारा 3(2) और धारा 5 अस्पष्ट तथा मनमानी है।