Edited By Seema Sharma,Updated: 29 May, 2023 02:43 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से 9 साल पहले की तरह ही संसद भवन में ‘साष्टांग प्रणाम’ किया और ‘सेंगोल’ को स्थापित किया। संसद भवन के उद्घाटन के दौरान देश की कई प्रमुख विपक्षी पार्टियों की उपस्थिति न होने के बावजूद सियासी गलियारों में चर्चाएं...
नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से 9 साल पहले की तरह ही संसद भवन में ‘साष्टांग प्रणाम’ किया और ‘सेंगोल’ को स्थापित किया। संसद भवन के उद्घाटन के दौरान देश की कई प्रमुख विपक्षी पार्टियों की उपस्थिति न होने के बावजूद सियासी गलियारों में चर्चाएं इस बात की हो रही हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘साष्टांग और सेंगोल’ से न सिर्फ सियासत को साधा है बल्कि तमिलनाडु से एक बार फिर से धीरे-धीरे ही सही भाजपा ने एक पैठ बनाने की बड़ी कोशिश शुरू कर दी है।
‘साष्टांग’ से इस तरह सधेगी सियासत
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तो संसद भवन के अंदर प्रवेश करने से पहले उन्होंने साष्टांग प्रणाम किया था। राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार साष्टांग प्रणाम के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में भाजपा की सरकार बनानी शुरू कर दी थी। संसद भवन में साष्टांग प्रणाम के साथ एंट्री करते ही देश के राज्यों में भगवा पार्टी का झंडा लहराने लगा था। जो धीरे-धीरे देश के अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों में लगातार बढ़ता गया। 9 साल के भीतर देश की जो सियासी तस्वीर बदली उसको भाजपा के नेता इस ‘साष्टांग प्रणाम’ से जोड़कर भी देखते हैं। भाजपा सांसद और दिल्ली प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोकतंत्र के इस पवित्र मंदिर में साष्टांग प्रणाम कर देश की जनता को नमन किया बल्कि लोकतंत्र के इस पवित्र मंदिर और उस सेंगोल (राजदंड) को नमन करते हुए जनता के हितों को आगे रखकर काम करने का प्रण भी लिया है।
‘सेंगोल’ से दक्षिण की राजनीति में भाजपा बनाएगी पैठ
देश के नए बने संसद भवन की जितनी चर्चा इसकी भव्यता और विशेषताओं की हो रही है उससे ज्यादा चर्चा उस सेंगोल (राजदंड) की हो रही है जो तकरीबन अढ़ाई हजार साल पहले चोल वंश के राजाओं के सत्ता हस्तांतरण के दौर में दिया जाता था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस तरह से इस राजदंड को लोकसभा में तमिल मठों के धर्माचार्यों का आशीर्वाद लेकर प्रधानमंत्री ने स्थापित किया है, उसका तमिलनाडु में बड़ा प्रभाव पडऩा तय माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि बीते कुछ समय में अगर सियासत के नजरिए से देखा जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु पर बहुत फोकस किया है। कहते हैं पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकसभा क्षेत्र बनारस में काशी तमिल समागम का आयोजन किया था। एक महीने तक चलने वाले इस समागम में तमिल के 17 मठों से 300 से ज्यादा साधु-संत और प्रमुख मठों के धर्माचार्य शामिल हुए थे।
नए संसद भवन की विशेषताएं
- भवन का निर्माण मात्र अढ़ाई साल में पूरा किया गया है। शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 दिसम्बर 2020 को किया था।
- नया भवन 20 हजार करोड़ रुपए की लागत वाली सैंट्रल विस्टा परियोजना का हिस्सा है। इसके लोकसभा कक्ष में 1280 व्यक्तियों के लिए बैठने की व्यवस्था की जा सकती है।
- हीरे (त्रिकोणीय) आकार के नए भवन के साथ संसद भवन परिसर में पुस्तकालय भवन सहित तीन भवन हो गए हैं।
- 64500 वर्ग मीटर में बने नए संसद भवन में 3 मुख्य द्वार- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार हैं। अति विशिष्ट व्यक्तियों, सांसदों और दर्शकों को अलग-अलग द्वारों से प्रवेश कराया जाएगा।
- नए संसद भवन के निर्माण में 60 हजार श्रमिकों ने योगदान दिया है। यह आधुनिक इलैक्ट्रानिक उपकरणों से लैस है जो सांसदों की कार्यक्षमता का विस्तार करेगा और इनसे संसदीय कार्य में आसानी होगी।
सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी बातें
- नए संसद भवन की इमारत में थर्मल इमेजिंग सिस्टम को इंस्टॉल किया गया है। इसकी मदद से किसी भी घुसपैठिए की आसानी से पहचान की जा सकती है।
- फेस रिकग्निशन सिस्टम और 360 डिग्री कैमरों को लगाया गया है जिनकी मदद से सुरक्षाकर्मी चप्पे-चप्पे की निगरानी कर सकेंगे।
- सुरक्षाकर्मी अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस रहेंगे।
- नए संसद भवन में संसद सदस्यों के प्रवेश के लिए एक नया स्मार्ट कार्ड आधारित पहचान पत्र तैयार किया जा रहा है। इस स्मार्ट कार्ड आधारित पहचान पत्र प्रणाली में अनेक सुरक्षा विशेषताएं होंगी और यह अत्यंत सुरक्षित होगा।
- साइबर हमलों से निपटने के
- लिए एक सुरक्षा संचालन केंद्र बनाया गया है, जो चौबीसों घंटे निगरानी कर किसी भी संभावित खतरे की जांच करेगा।
- आग की वजह से होने वाले नुक्सान से बचने के लिए अग्निशमन प्रणाली की व्यवस्था की गई है। दरअसल, पुरानी संसद में अग्निशमन प्रणाली के इंतजाम बाद में किए गए थे।