Edited By Rahul Singh,Updated: 28 May, 2025 03:05 PM

म्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ करीब 60 साल पुराना सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) स्थगित कर दी है। इसका मतलब यह है कि अब भारत और पाकिस्तान के बीच नदियों से जुड़ी कोई भी जानकारी आपस में साझा नहीं की जाएगी।
नई दिल्ली। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ करीब 60 साल पुराना सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) स्थगित कर दी है। इसका मतलब यह है कि अब भारत और पाकिस्तान के बीच नदियों से जुड़ी कोई भी जानकारी आपस में साझा नहीं की जाएगी। वहीं इस बीच चीन की भी नापाक हरकत सामने आई है।
अब चीन ने भी रोका पानी से जुड़ा डेटा
सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, अब चीन ने भी भारत के साथ नदियों से जुड़ा जरूरी डेटा देना बंद कर दिया है। यह खुलासा सूचना के अधिकार (RTI) के तहत किया गया है, जिसे इंडिया टुडे ने दायर किया था। जल शक्ति मंत्रालय ने बताया है कि चीन ने साल 2022 से भारत के साथ कोई भी हाइड्रोलॉजिकल डेटा (यानी नदियों का पानी, बहाव, स्तर, आदि से जुड़ी जानकारी) साझा नहीं की है।
डेटा क्यों जरूरी है?
भारत के लिए यह जानकारी बहुत जरूरी होती है, खासकर उन नदियों के लिए जो चीन से निकलती हैं – जैसे कि ब्रह्मपुत्र और सतलुज। यह डेटा भारत को इन नदियों में बाढ़ का अनुमान लगाने, अलर्ट जारी करने और बांध या पुल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर की प्लानिंग में मदद करता है।
समझौते की स्थिति क्या है?
- मपुत्र नदी के लिए भारत और चीन के बीच समझौता (MoU) 2002 में हुआ था, जो 2008 में खत्म हो गया था। बाद में इसे 2008, 2013 और 2018 में रिन्यू किया गया था।
- समझौता पांच जून 2023 को फिर से खत्म हो गया, लेकिन इसके बाद इसे रिन्यू नहीं किया गया।
- सतलुज नदी पर MoU 2005 में हुआ था, जो 2010 में खत्म हुआ। इसे 2010 और 2015 में रिन्यू किया गया था, लेकिन यह भी 6 नवंबर 2020 के बाद से खत्म है और फिर से रिन्यू नहीं हुआ।
MoU रिन्यू क्यों नहीं हुए?
जब RTI में यह पूछा गया कि MoUs को दोबारा रिन्यू क्यों नहीं किया गया, तो जल शक्ति मंत्रालय ने इसकी जानकारी देने से इनकार कर दिया। मंत्रालय ने कहा कि इस विषय में जानकारी RTI अधिनियम की धारा 10(1) के तहत साझा नहीं की जा सकती।