दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने किया शिक्षकों के आंदोलन को समर्थन का ऐलान

Edited By Archna Sethi,Updated: 22 Aug, 2022 07:47 PM

deepender hooda announces support to teachers  movement

राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश में रैशनलाइजेशन पॉलिसी के खिलाफ जारी शिक्षकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों के आंदोलन को कांग्रेस की तरफ से समर्थन का ऐलान किया है। दीपेंद्र हुड्डा आज चंडीगढ़ में एक पत्रकारवार्ता को संबोधित कर रहे थे।...

22 अगस्त, चंडीगढ़ः ( अर्चना सेठी ) राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश में रैशनलाइजेशन पॉलिसी के खिलाफ जारी शिक्षकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों के आंदोलन को कांग्रेस की तरफ से समर्थन का ऐलान किया है। दीपेंद्र हुड्डा आज चंडीगढ़ में एक पत्रकारवार्ता को संबोधित कर रहे थे। कलायत से पूर्व विधायक बनारसी दास वाल्मिकी, आदमपुर से सुखबीर डूडी(पूर्व चेयरमैन), बीजेपी नेता सोमबीर लांबा, बीजेपी की टिकट के प्रबल दावेदार रहे ओबीसी नेता हनुमान वर्मा, आरएसएस प्रचारक कुलदीप काजला, बीजेपी किसान मोर्चा के नेता रमेश कुमार, मंडल अध्यक्ष, दर्जनों पार्षदों, सरपंचों, कुछ दिन पहले ही आम आदमी पार्टी में शामिल हुए कार्यकर्ताओं समेत सैकड़ों की तादाद में बीजेपी, जेजेपी व अन्य दलों के नेता-कार्यकर्ताओं ने इस मौके पर कांग्रेस का दामन थामा।  

 

आदमपुर और हिसार से लगातार कांग्रेस में हो रही ताबड़तोड़ जॉइनिंग से उत्साहित दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने दावा किया कि आने वाले उपचुनाव में कांग्रेस की जीत तय है। आदमपुर में जिस तरह से लोगों का रुझान और समर्थन कांग्रेस को मिल रहा है, वह बताता है कि पूर्व विधायक से हलके की जनता खासी नाराज है। उनकी कार्यशैली और हलके में उनकी गैर-मौजूदगी से जनता में रोष है। उन्होंने हलके के विकास के बारे में ना कभी कोशिश की और ना ही कभी संघर्ष किया। यही वजह है कि आज आदमपुर में आधारभूत सुविधाओं के लिए लोग तरस रहे हैं। सड़कों में गड्ढे और जलभराव जैसी समस्याओं से लोग परेशान हैं। जनता कांग्रेस की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है।  

 

ज्वाइनिंग के बाद पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि पहले इस सरकार ने खेती को निजी हाथों में सौंपने का फैसला लिया, फिर सेना में ठेकाप्रथा की शुरुआत की और अब सरकार शिक्षा तंत्र को भी निजी हाथों में सौंपने के मिशन पर आगे बढ़ रही है। यही वजह है कि चिराग योजना के बाद सरकार ने रैशनलाइजेशन पॉलिसी लागू की है। स्कूलों के लिए यह व्यवस्था इतनी घातक है कि तमाम शिक्षकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों को सड़कों पर उतरकर इसका विरोध करना पड़ रहा है। कांग्रेस भी हर मंच और हर मोर्चे से इस नीति का विरोध करेगी। क्योंकि यह दलित, पिछड़े, ग्रामीण, गरीब और किसान वर्ग के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने का फैसला है। 

 

सांसद दीपेंद्र ने कहा कि बिना कोई भर्ती किए सरकारी स्कूलों से टीचर्स के पद खत्म किए जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर ग्रीष्मकालीन विधानसभा सत्र के दौरान सरकार ने बताया था कि प्रदेश के स्कूलों में अध्यापकों के 38,476 पद खाली हैं। लेकिन बिना कोई नई भर्ती किए मॉनसून सत्र आते-आते सरकार ने खाली पदों की संख्या घटाकर 35,980 कर दी। इसी तरह सरकार चिराग योजना और रैशनलाइजेशन लागू करके आने वाले दिनों में लगभग 20,000 शिक्षकों के पदों को खत्म करने जा रही है।

 

दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि पहले 196 और अब 105 स्कूलों को बंद करके सरकार अपने मंसूबों को जाहिर कर चुकी है। इसी लिस्ट में 1057 और स्कूलों के नाम हैं, जिन्हें जल्द ही बंद किया जा सकता है। यह सरकार 450 स्कूलों में साइंस स्ट्रीम को बंद कर चुकी है। मौजूदा स्कूली सेशन में पिछले सेशन के मुकाबले एक लाख से ज्यादा एनरोलमेंट कम हुए हैं। कांग्रेस कार्यकाल के दौरान गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग के करीब 19.50 लाख बच्चों को छात्रवृत्ति दी जाती थी। उसको भी मौजूदा सरकार ने लगभग बंद करने का काम किया है। सरकार ने पुराने स्कूलों का नाम बदलकर मॉडल संस्कृति स्कूल कर दिया। लेकिन यहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर कुछ नहीं दिया गया। सिर्फ नाम बदलकर सरकार ने स्कूलों की फीस बढ़ाने का काम किया है।

 

इस सरकार ने एचटेट और सीटेट को बराबर करके अन्य राज्य के लोगों के लिए हरियाणा में भर्ती के दरवाजे खोल दिए। जबकि प्रदेश के युवा वर्षों से टीचर्स भर्ती का इंतजार कर रहे हैं। बार-बार बेरोजगार युवाओं से एचटेट की परीक्षा के नाम पर करोड़ों की वसूली की जाती है। लेकिन पिछले 8 साल में इस सरकार ने जेबीटी की एक भी भर्ती नहीं निकाली। प्रदेश के शिक्षकों के बारे में मुख्यमंत्री की मानसिकता को सांसद दीपेंद्र ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। क्योंकि गोहाना में सार्वजनिक मंच से मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि हरियाणा के लोग शिक्षक बनने की योग्यता नहीं रखते क्योंकि वो कंधे से ऊपर कमजोर होते हैं। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि प्रदेश के प्रतिभावान युवाओं और भावी शिक्षकों को लेकर मुख्यमंत्री की यह विचारधारा बेहद निंदनीय है। उन्हें अपनी सोच को बदलकर जल्द से जल्द प्रदेश में रेगुलर भर्तियां करनी चाहिए।

 

राज्यसभा सांसद ने कांग्रेस सरकार और बीजेपी व बीजेपी-जेजेपी सरकार के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में हुए कार्यों की आंकड़ों के साथ तुलना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान सिर्फ शिक्षा महकमे में एक लाख से ज्यादा नौकरियां दी गई। कांग्रेस कार्यकाल के दौरान प्रदेश में सैकड़ों की तादाद में नए स्कूल खोले गए और 1313 स्कूलों को अपग्रेड किया गया। प्रदेश में हुड्डा सरकार के दौरान आईआईएम, आईआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालय, डिफेंस यूनिवर्सिटी समेत 15 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान और कैंपस स्थापित हुए। इसी दौरान राजीव गांधी एजुकेशन सिटी की स्थापना हुई। 10 नए राजकीय विश्वविद्यालय स्थापित बनाए गए। हुड्डा सरकार के दौरान कुल विश्वविद्यालयों की संख्या 8 से बढ़ाकर 42 की गई यानी 34 नए विश्वविद्यालय स्थापित किए गए। डीम्ड और निजी विश्वविद्यालयों की संख्या 3 से बढ़ाकर 27 की गई। 60 राजकीय महाविद्यालयों की संख्या को बढ़ाकर लगभग डबल 105 किया गया।

 

इसी तरह तकनीकी संस्थानों की संख्या को 154 से बढ़ाकर 657 किया गया। प्रदेश में 5 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए गए। आईटीआई की संख्या को 97 से बढ़ाकर 237 किया गया। भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के दौरान शिक्षा के स्तर को और ऊंचा उठाने के लिए आरोही मॉडल स्कूल, किसान मॉडल स्कूल, संस्कृति मॉडल स्कूल खोले गए। इसके मुकाबले भाजपा सरकार स्कूलों को खोलने की बजाय बंद करने, शिक्षकों की भर्ती करने की बजाए उनके पद खत्म करने की योजना पर आगे बढ़ रही है। दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार जिन स्कूलों को बंद करना चाहती है वह प्रदेश की अलग-अलग सरकारों के दौरान जनता की गाढ़ी कमाई और पीढ़ियों की मेहनत से बनाए गए हैं। इस सरकार को इन्हें बंद करने का कोई अधिकार नहीं है।

 

 

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