Edited By Mehak,Updated: 13 Sep, 2025 04:42 PM

भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग लगातार मजबूत हो रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ के बावजूद दोनों देशों के बीच एक बड़ी डील लगभग तय हो चुकी है। इस समझौते के तहत भारतीय नौसेना को 6 अतिरिक्त P-8I मैरीटाइम पेट्रोल...
नेशनल डेस्क : भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग लगातार मजबूत हो रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ के बावजूद दोनों देशों के बीच एक बड़ी डील लगभग तय हो चुकी है। इस समझौते के तहत भारतीय नौसेना को 6 अतिरिक्त P-8I मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट मिलेंगे। यह डील करीब 4 अरब डॉलर की बताई जा रही है। इसके लिए अमेरिका का एक प्रतिनिधिमंडल 16 से 19 सितंबर के बीच दिल्ली आने वाला है।
अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की भूमिका
इस प्रतिनिधिमंडल में अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस और बोइंग कंपनी के अधिकारी शामिल होंगे। इसके अलावा, नेवी इंटरनेशनल प्रोग्राम्स ऑफिस (NIPO), मैरीटाइम पेट्रोल एंड रिकग्निशन एयरक्राफ्ट प्रोग्राम ऑफिस (PMA 290), डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (DSCA) और ऑफिस ऑफ अंडर सेक्रेटरी ऑफ डिफेंस फॉर पॉलिसी से भी अधिकारी भाग लेंगे।
- NIPO का काम दुनियाभर में समुद्री साझेदारी को संभालना है।
- PMA 290 एयरक्राफ्ट की खरीद और तकनीकी सहयोग से जुड़ा है।
नौसेना की जरूरतें क्यों बढ़ीं?
भारतीय नौसेना के पास इस समय 12 P-8I एयरक्राफ्ट मौजूद हैं। लेकिन हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के चलते निगरानी और पनडुब्बी रोधी क्षमता को और मजबूत करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। यही वजह है कि नौसेना को 6 और P-8I की जरूरत है। इसके साथ ही नौसेना MQ-9B ड्रोन का भी इस्तेमाल कर रही है। योजना है कि 2029 तक नौसेना के पास 31 ड्रोन हो जाएंगे।
P-8I की तकनीकी खूबियां
- यह विमान लंबी दूरी तक निगरानी कर सकता है और पनडुब्बियों का पता लगाने में बेहद सक्षम है।
- इसकी उड़ान क्षमता 41,000 फीट तक है और यह करीब 8,300 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है।
- इसमें एंटी-शिप मिसाइल, क्रूज मिसाइल, हल्के टॉरपीडो और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर चार्ज लगाए जा सकते हैं।
- MQ-9B ड्रोन हिंद महासागर क्षेत्र की रियल-टाइम निगरानी में और मदद करेगा।
रक्षा समझौते पर 50% टैरिफ का कोई असर नहीं पड़ा
हाल ही में रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका ने भारत पर ऊंचे टैरिफ लगाए थे। लेकिन इन विवादों का इस रक्षा समझौते पर कोई असर नहीं पड़ा है। दरअसल, फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान ही दोनों देशों ने इस डील को अंतिम चरण में पहुंचा दिया था।