हार्ट अटैक सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं, बच्चों में भी खतरा! जानिए कैसे पहचानें लक्षण

Edited By Updated: 18 Jul, 2025 07:00 PM

heart attack is not a disease of the elderly it is also a danger for children

राजस्थान में 9 साल की प्राची कुमावत नाम की बच्ची की अचानक संदिग्ध हार्ट अटैक से मौत ने सभी को हैरान कर दिया है। प्राची चौथी कक्षा की छात्रा थी। वह लंच करने जा रही थी, तभी अचानक बेहोश होकर गिर पड़ी और फिर होश में नहीं आई।

नेशनल डेस्क: राजस्थान में 9 साल की प्राची कुमावत नाम की बच्ची की अचानक संदिग्ध हार्ट अटैक से मौत ने सभी को हैरान कर दिया है। प्राची चौथी कक्षा की छात्रा थी। वह लंच करने जा रही थी, तभी अचानक बेहोश होकर गिर पड़ी और फिर होश में नहीं आई। आमतौर पर हार्ट अटैक बुजुर्गों को ही होता है, लेकिन यह घटना दर्शाती है कि छोटे बच्चों में भी हार्ट अटैक का खतरा हो सकता है। हालांकि बच्चों में हार्ट अटैक के मामले बहुत कम होते हैं, लेकिन ये गंभीर भी होते हैं।

बच्चों में हार्ट अटैक के कारण और लक्षण

बुजुर्गों की तुलना में बच्चों में हार्ट अटैक कम होते हैं, लेकिन नामुमकिन नहीं। युवाओं में यह आमतौर पर धमनियों में प्लाक जमने की वजह से होता है। बच्चों में हार्ट अटैक के पीछे जन्मजात दिल की समस्याएं, वायरस संक्रमण से दिल की मांसपेशियों में सूजन (मायोकार्डिटिस), खेलकूद के दौरान सीने पर लगी चोट, रक्त संबंधी बीमारियां और आनुवंशिक कारण हो सकते हैं।

छोटे बच्चों में हार्ट अटैक के लक्षण स्पष्ट नहीं होते। लेकिन कुछ संकेत जैसे खेलते समय या दौड़ते समय सीने में दर्द, बेहोशी, तेज या अनियमित धड़कन, सांस फूलना, जल्दी थक जाना, होंठ या उंगलियों का नीला पड़ना, और बिना वजह पसीना आना नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। छोटे बच्चों में भूख न लगना, चिड़चिड़ापन, वजन न बढ़ना, दस्त या उल्टी भी संकेत हो सकते हैं।

बच्चों में हार्ट अटैक के कारण बड़ों से अलग

बच्चों में हार्ट अटैक के मुख्य कारण जन्मजात दिल की संरचनात्मक समस्याएं होती हैं। कावासाकी नामक बीमारी जो रक्त वाहिकाओं में सूजन करती है, भी दिल को नुकसान पहुंचा सकती है। वायरल संक्रमण से मायोकार्डिटिस हो सकता है, जिससे दिल कमजोर हो जाता है। जन्म से ही दिल की धड़कनों में समस्या होने से अचानक कार्डियक अरेस्ट हो सकता है। रक्त के थक्के बनना या अचानक लगी चोट भी जिम्मेदार हो सकते हैं।

समय पर पहचान और इलाज जरूरी

अगर बच्चा अचानक बेहोश हो जाए, सांस लेना बंद कर दे या प्रतिक्रिया न दे तो तुरंत इमरजेंसी सेवाओं को कॉल करें। सांस न चलने या पल्स न मिलने पर तुरंत CPR देना चाहिए। स्कूल और खेल मैदानों पर उपलब्ध ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर (AED) जीवन बचाने में मदद कर सकता है। अगर बच्चा होश में है लेकिन असामान्य लक्षण दिखा रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, खासकर अगर परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास हो।

रोकथाम के उपाय

जन्मजात दिल की बीमारियों को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन नियमित स्वास्थ्य जांच, स्वस्थ खान-पान और व्यायाम से खतरा कम किया जा सकता है। परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास हो तो डॉक्टर को जरूर बताएं और बच्चों की खास देखभाल करें। जिन बच्चों को पहले से दिल की बीमारी है, उन्हें दवाइयां और नियमित जांच जरूरी है। खेल-कूद के दौरान सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि किसी तरह की चोट से दिल को नुकसान न पहुंचे।

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