13 new herbal medicines: डायबिटीज, लीवर और कैंसर मरीजों के लिए Good News:  CISR ने बनाई 13 नई हर्बल दवाएं

Edited By Updated: 18 Sep, 2025 01:49 PM

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वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की लखनऊ स्थित प्रयोगशालाओं ने प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों और आधुनिक विज्ञान के समावेश से 13 नई हर्बल दवाओं का विकास किया है। इन दवाओं को अब स्टार्टअप्स के माध्यम से सुरक्षित और प्रभावी तरीके से...

नेशनल डेस्क: वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की लखनऊ स्थित प्रयोगशालाओं ने प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों और आधुनिक विज्ञान के समावेश से 13 नई हर्बल दवाओं का विकास किया है। इन दवाओं को अब स्टार्टअप्स के माध्यम से सुरक्षित और प्रभावी तरीके से मरीजों तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस विषय पर राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (NBRI), लखनऊ में दो दिवसीय कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया।

कॉन्क्लेव का उद्घाटन केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने किया। उन्होंने जानकारी दी कि सीएसआईआर की लखनऊ स्थित तीन प्रमुख प्रयोगशालाओं-NBRI, सीमैप और एक अन्य सहयोगी संस्थान ने मधुमेह, कैंसर और फैटी लीवर जैसी बीमारियों के लिए हर्बल आधारित उपचार विकसित किए हैं।

प्रमुख दवाएं:
BGR-34: मधुमेह के इलाज के लिए विकसित यह दवा दारुहरिद्रा, गिलोय, विजयसार, गुड़मार, मंजिष्ठा और मेथी जैसी छह प्रमुख औषधीय जड़ी-बूटियों से तैयार की गई है। यह दवा न केवल ब्लड शुगर नियंत्रित करती है, बल्कि लंबे समय में डायबिटीज रिवर्सल में भी सहायक मानी जा रही है।
Paclitaxel: रक्त कैंसर के लिए अर्जुन की छाल से तैयार की गई यह दवा एक नया विकल्प प्रदान करती है।
Picroliv: फैटी लीवर और लीवर कैंसर के इलाज में उपयोगी यह दवा लीवर संबंधित रोगों में प्रभावी मानी जा रही है।

विज्ञान और परंपरा का संगम
एमिल फार्मास्युटिकल्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने कहा, "दुनिया अब सिर्फ डायबिटीज नियंत्रण नहीं, बल्कि उसकी रिवर्सल पर ध्यान केंद्रित कर रही है। बीजीआर-34 जैसे भारतीय हर्बल फार्मूले, जो आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान का मेल हैं, भविष्य में डायबिटीज-मुक्त समाज का आधार बन सकते हैं।"

प्रयोगशाला से जनमानस तक
कॉन्क्लेव में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह पहल ‘प्रयोगशाला से जनमानस तक’ की अवधारणा का सटीक उदाहरण है। उन्होंने स्टार्टअप्स और उद्योग जगत से आह्वान किया कि वे इन हर्बल दवाओं को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में काम करें। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित रहे। उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन कर वैज्ञानिकों को नवाचार के इस पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

वैश्विक बाजार में भारत की भूमिका
विशेषज्ञों का मानना है कि हर्बल और प्राकृतिक उपचारों की बढ़ती वैश्विक मांग के बीच भारत के पास प्रमाणित हर्बल फार्मूलों के जरिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में नेतृत्व करने का अवसर है। डॉ. संचित शर्मा ने कहा कि यह केवल दवा नहीं, बल्कि विज्ञान और परंपरा का ऐसा मॉडल है, जो आने वाले वर्षों में वैश्विक हेल्थकेयर एजेंडा को दिशा दे सकता है।

किसानों को मिलेगा लाभ
एनबीआरआई और सीमैप जैसी संस्थाएं औषधीय पौधों की उन्नत किस्मों पर भी शोध कर रही हैं। इससे न केवल किसानों को अधिक उत्पादन और आय का लाभ मिलेगा, बल्कि आमजन को सस्ती और दुष्प्रभाव रहित हर्बल दवाएं भी उपलब्ध हो सकेंगी।

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