अब स्कूलों में हिंदी अनिवार्य, इस राज्य की सरकार का नया आदेश जारी, जानें छात्रों को क्या मिलेगी छूट?

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 18 Jun, 2025 11:38 AM

hindi becomes the third compulsory language in maharashtra

महाराष्ट्र सरकार ने हिंदी भाषा को लेकर एक नया सरकारी आदेश जारी किया है। हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने को लेकर चल रहे विवाद के बीच सरकार ने अब यह साफ कर दिया है कि हिंदी सामान्य रूप से तीसरी अध्ययन भाषा के रूप में लागू की जाएगी।...

नेशनल डेस्क। महाराष्ट्र सरकार ने हिंदी भाषा को लेकर एक नया सरकारी आदेश जारी किया है। हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने को लेकर चल रहे विवाद के बीच सरकार ने अब यह साफ कर दिया है कि हिंदी सामान्य रूप से तीसरी अध्ययन भाषा के रूप में लागू की जाएगी। हालाँकि, छात्रों को हिंदी के बजाय किसी अन्य भाषा को सीखने की छूट भी मिलेगी लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें होंगी।

नए सरकारी आदेश में क्या है?

सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि राज्य पाठ्यक्रम रूपरेखा स्कूल शिक्षा 2024 के अनुसार:

➤ कक्षा 1 से 5 तक: मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में अब से तीसरी भाषा के रूप में हिंदी अनिवार्य होगी।

अन्य माध्यम के स्कूलों में: कक्षा 1 से 5 तक तीन भाषाएं - मराठी, अंग्रेजी और हिंदी - पढ़ाई जाएंगी।

 

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कक्षा 6 से 10 के लिए: भाषा नीति राज्य पाठ्यक्रम रूपरेखा-स्कूल शिक्षा के अनुसार ही होगी।

इस आदेश से यह स्पष्ट हो गया है कि अब हिंदी ही सर्वसाधारण तीसरी भाषा होगी।

 

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हिंदी के बजाय दूसरी भाषा चुनने की क्या है शर्त?

सरकारी आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के छात्र हिंदी के बजाय तीसरी भाषा के रूप में अन्य भारतीय भाषाओं में से किसी एक को पढ़ने की इच्छा व्यक्त करते हैं तो उन्हें उस भाषा को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ने की अनुमति दी जाएगी।

हालाँकि इस छूट के लिए एक महत्वपूर्ण शर्त रखी गई है: संबंधित कक्षा में ऐसे छात्रों की संख्या जो हिंदी के बजाय किसी अन्य भाषा को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ना चाहते हैं कम से कम 20 होनी चाहिए। यदि यह शर्त पूरी होती है तभी स्कूल में संबंधित वैकल्पिक भाषा के लिए अध्यापक नियुक्त किया जाएगा।

यह नया आदेश महाराष्ट्र में भाषा नीति को लेकर चल रही बहस के बीच एक महत्वपूर्ण कदम है जो हिंदी को बढ़ावा देने के साथ-साथ छात्रों को कुछ हद तक अन्य भाषाओं का विकल्प चुनने का अवसर भी प्रदान करता है।

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