Helicopter Accidents: कौन है जिम्मेदार इन हेलीकॉप्टर हादसों का? क्रैश होने की असली वजहें आईं सामने

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 18 Jun, 2025 10:36 AM

death in an instant who is responsible for helicopter tragedies

चारधाम क्षेत्र में लगातार बढ़ रही हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। आखिरकार कौन है जिम्मेदार इन हेलीकॉप्टर हादसों का? क्यों क्रैश होते हैं हेलीकॉप्टर, इसकी असली वजहें सामने आ गई है। इस क्षेत्र में व्यापक उड़ान अनुभव रखने वाले एक...

नेशनल डेस्क। चारधाम क्षेत्र में लगातार बढ़ रही हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। आखिरकार कौन है जिम्मेदार इन हेलीकॉप्टर हादसों का? क्यों क्रैश होते हैं हेलीकॉप्टर, इसकी असली वजहें सामने आ गई है। इस क्षेत्र में व्यापक उड़ान अनुभव रखने वाले एक पायलट का कहना है कि अस्थिर मौसमी दशाएं, पायलटों को क्षेत्र-विशेष उड़ान का अपर्याप्त प्रशिक्षण और कमजोर विमानन बुनियादी ढांचा जैसी कई वजहें इन खतरनाक हादसों के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हेलीकॉप्टरों की आवाजाही पर निगरानी रखने के लिए केंद्रीकृत पर्यवेक्षी प्राधिकरण की कमी भी दुर्घटनाओं को बढ़ावा दे रही है।

डेढ़ महीने में 5वीं दुर्घटना: केदारनाथ में 7 लोगों की मौत

हाल ही में रविवार को आर्यन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड का एक हेलीकॉप्टर केदारनाथ से लौटते समय गौरीकुंड के जंगलों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस भीषण हादसे में हेलीकॉप्टर में सवार श्रद्धालुओं और पायलट समेत सभी सात लोगों की मृत्यु हो गई थी जिसमें एक दो साल की बच्ची भी शामिल थी। यह दुर्घटना 30 अप्रैल को तीर्थयात्रा शुरू होने के बाद डेढ़ महीने से भी कम समय में चारधाम यात्रा मार्ग पर हुई पांचवीं हेलीकॉप्टर दुर्घटना है।

 

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लगभग 15 सालों का उड़ान अनुभव रखने वाले एक पायलट ने जिन्होंने सेना की ‘एविएशन विंग’ और निजी हेलीकॉप्टर फर्मों में भी सेवा दी है। कहा- चारधाम क्षेत्र पलक झपकते ही बदल जाने वाले अपने अनिश्चित मौसम, ज्यादा ऊंचाई और संकरी घाटियों के कारण सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने जोर देकर कहा फिर भी हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं की यह दर - पैंतालीस दिन में पांच - स्वीकार्य नहीं है।

क्षेत्र-विशेष प्रशिक्षण और DGCA मानदंडों पर सवाल

पायलट का मानना है कि पायलटों के पास भले ही पर्याप्त अनुभव हो लेकिन उन्हें अकेले या कैप्टन के रूप में इस खतरनाक मार्ग पर उड़ान भरने से पहले प्रशिक्षक के साथ पर्याप्त क्षेत्र-विशेष प्रशिक्षण नहीं मिलता है। चारधाम क्षेत्र में तीन साल काम कर चुके इस पायलट ने कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय द्वारा सेक्टर-विशेष प्रशिक्षण के लिए निर्धारित मापदंड उन चुनौतियों को देखते हुए कम हैं जिनका सामना पायलट को चारधाम क्षेत्र में उड़ान भरते समय करना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह क्षेत्र अमरनाथ क्षेत्र की तुलना में कहीं अधिक कठिन है।

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पायलट राजवीर सिंह चौहान का उदाहरण और SOP में बदलाव की मांग

अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर पायलट ने केदारनाथ के पास रविवार को दुर्घटनाग्रस्त बेल 407 हेलीकॉप्टर के पायलट राजवीर सिंह चौहान का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि चौहान एक पुराने सैन्यकर्मी और अनुभवी हेलीकॉप्टर पायलट थे लेकिन व्यवसायिक उड़ान और चारधाम क्षेत्र दोनों उनके लिए नए थे।

उन्होंने डीजीसीए की ‘एसओपी’ में बड़े संशोधन की जरूरत व्यक्त करते हुए कहा कि कठिन चारधाम मार्ग पर हेलीकॉप्टर उड़ाने वाले पायलट को डीजीसीए द्वारा अनुमोदित सक्षम उड़ान संचालन प्रशिक्षक से इस क्षेत्र में उड़ान का कम से कम 50 घंटे का प्रशिक्षण प्राप्त होना चाहिए।

 

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व्यावसायिक दबाव और बुनियादी ढांचे की कमी

पायलटों ने यह भी कहा कि निजी ‘हेली ऑपरेटरों’ के लिए काम करने वाले पायलट कभी-कभी उन कंपनियों के व्यावसायिक हितों के कारण दबाव में भी रहते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि एक दिन में पायलट की उड़ानों की संख्या की भी एक सीमा निर्धारित की जानी चाहिए जिससे उन्हें पर्याप्त आराम मिल सके। उन्होंने जोर दिया कि व्यावसायिक हितों को सार्वजनिक या यात्री सुरक्षा के मानदंडों से अधिक महत्वपूर्ण नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि सुरक्षा सर्वोपरि है।

चारधाम क्षेत्र में उड़ान संबंधी बुनियादी ढांचे पर अत्यधिक बोझ के बारे में पायलट ने कहा कि केदारनाथ में दो हेलीपैड हैं जिनमें से एक ‘शटल’ हेलिकॉप्टरों के लिए है जबकि दूसरा ‘वीआईपी मूवमेंट’ के लिए आरक्षित है। उन्होंने कहा कि एक हेलीपैड का बहुत ज्यादा उपयोग होता है जबकि दूसरा खाली पड़ा रहता है।

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उन्होंने सुझाव दिया, मेरा सुझाव है कि जब क्षेत्र में कोई ‘वीआईपी मूवमेंट’ न हो तब दोनों हेलीपैड का बराबर उपयोग किया जाए और इतनी बड़ी संख्या में उड़ानों से निपटने के लिए देहरादून के सहस्रधारा हेलीपैड की तरह गुप्तकाशी में एक बड़ा हेलीपैड विकसित किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सभी चार धामों में स्वचालित मौसम केंद्र भी स्थापित किए जाने चाहिए। पायलट ने सुझाव दिया कि हेलीकॉप्टरों को सूरज निकलने के आधा घंटे बाद और सूरज डूबने के आधा घंटा पहले ही उड़ान भरने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने चारधाम क्षेत्र में संचालन के लिए सख्त निविदा के माध्यम से सावधानीपूर्वक हेली कंपनियों के चयन की वकालत की ताकि केवल योग्य लोगों को ही अवसर मिले और हवाई मार्ग पर भीड़भाड़ न हो।

नियमों के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत

चारधाम मार्ग पर शटल सेवा के लिए आठ-नौ हेली कंपनियों और चार्टर्ड चॉपर सेवा के लिए 15 से अधिक हेली कंपनियों का जिक्र करते हुए पायलट ने कहा कि इनकी संख्या को कम किया जाना चाहिए। उन्होंने हिमालयी धामों के लिए हेली सेवाओं के टिकटों के दाम भी बढ़ाए जाने का सुझाव दिया जिससे हेलीकॉप्टरों और क्षेत्र में मौजूदा हवाई बुनियादी ढांचे पर बोझ को कम किया जा सके। पायलट ने मार्ग पर हेलीकॉप्टरों की आवाजाही की निगरानी करने के लिए एक ‘कंट्रोल एंड कमांड’ केंद्र बनाए जाने तथा नियमों के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई की भी जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि पायलट और उनकी हेली कंपनियों को खराब मौसम में उड़ान नहीं भरनी चाहिए, यहां तक कि चिड़ियां भी प्रतिकूल मौसम में नहीं उड़तीं। वे भी मौसम के खुलने का इंतजार करती हैं। हमें उनसे सीखना चाहिए और सुरक्षित रहना चाहिए।

 

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DGCA की कार्रवाई: दो पायलटों के लाइसेंस निलंबित

रविवार के हादसे के बाद नागर विमानन मंत्रालय ने कहा कि उसने चारधाम यात्रा मार्ग पर ‘आर्यन एविएशन’ का संचालन बंद कर दिया है। उसने डीजीसीए को केदारनाथ घाटी में सभी हेलीकॉप्टर गतिविधियों की सक्रिय निगरानी करने के लिए उड़ान योग्यता, सुरक्षा और संचालन से संबंधित अधिकारियों की तत्काल तैनाती करने के निर्देश भी दिए। मंत्रालय ने यह भी बताया कि ऐसी ही स्थितियों में उड़ान भरने वाले ‘ट्रांसभारत एविएशन’ के दो हेलीकॉप्टरों के पायलटों के लाइसेंस भी छह महीने के लिए निलंबित कर दिए गए हैं।

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