Edited By Harman Kaur,Updated: 03 Jul, 2025 12:56 PM

तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने बुधवार, 2 जुलाई को संकेत दिया कि जल्द ही उनका उत्तराधिकारी सामने आ सकता है। इस घोषणा के बाद चीन की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई, जिसने हमेशा की तरह दलाई लामा को अलगाववादी नेता करार दिया है और...
नेशनल डेस्क: तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने बुधवार, 2 जुलाई को संकेत दिया कि जल्द ही उनका उत्तराधिकारी सामने आ सकता है। इस घोषणा के बाद चीन की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई, जिसने हमेशा की तरह दलाई लामा को अलगाववादी नेता करार दिया है और उनके पुनर्जन्म को चीन सरकार की मंजूरी से जोड़ने की बात दोहराई है। वहीं, अब इस पर भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के माध्यम से चीन को स्पष्ट संदेश दिया।
'दलाई लामा के उत्तराधिकारी का निर्णय पूरी तरह... '
दरअसल, चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने बयान देते हुए कहा कि दलाई लामा समेत सभी प्रमुख बौद्ध नेताओं का पुनर्जन्म 18वीं शताब्दी में किंग वंश द्वारा स्थापित 'स्वर्ण कलश प्रणाली' के तहत होना चाहिए और इसे केंद्र सरकार की मंजूरी प्राप्त होनी चाहिए। जिस पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि, “दलाई लामा के उत्तराधिकारी का निर्णय पूरी तरह से उन्हीं का अधिकार है। इसमें किसी और की दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए।”
दलाई लामा ने भी चीन के पास मौजूद स्वर्ण कलश पर सवाल उठाते हुए चेतावनी दी कि उसका दुरुपयोग कर पुनर्जन्म की प्रक्रिया को अपवित्र किया जा सकता है। उनका कहना है कि अगर राजनीतिक उद्देश्यों से इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया तो उसमें कोई आध्यात्मिक गुणवत्ता नहीं होगी।
गौरतलब है कि ऐतिहासिक रूप से दलाई लामा को चुनने के कई तरीके अपनाए गए हैं, लेकिन वर्तमान में चीन का जोर इसी 'गोल्डन अर्न पद्धति' पर है — जिसमें एक पात्र में नामों की पर्चियां डाली जाती हैं और उसका चयन होता है। चीन का यह भी दावा है कि अगला दलाई लामा चीन की सीमा के अंदर ही जन्म लेगा और वहां की सरकारी प्रक्रियाओं से ही चयनित होगा।