Edited By Tanuja,Updated: 24 Dec, 2025 06:25 PM

अमेरिका द्वारा ‘सेंसरशिप’ के आरोप में पांच यूरोपीय नागरिकों पर वीज़ा प्रतिबंध लगाने से EU–US संबंधों में तनाव बढ़ गया है। यूरोपीय आयोग और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने इसे यूरोपीय डिजिटल संप्रभुता पर हमला बताते हुए कड़ा विरोध जताया है।
International Desk: यूरोपीय संघ (EU) ने अमेरिका द्वारा पांच यूरोपीय नागरिकों पर लगाए गए वीज़ा प्रतिबंधों को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है और चेतावनी दी है कि यदि ये कदम “अनुचित” पाए गए तो EU जवाबी कार्रवाई करेगा। अमेरिका का आरोप है कि इन लोगों ने अमेरिकी टेक कंपनियों पर दबाव डालकर अमेरिकी विचारों को सेंसर कराने की कोशिश की। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इन यूरोपीय नागरिकों को “कट्टरपंथी” और गैर-सरकारी संगठनों के ज़रिए “हथियारबंद सेंसरशिप” चलाने वाला बताया। प्रतिबंधित लोगों में सोशल मीडिया नियमों की निगरानी करने वाले पूर्व EU आयुक्त थिएरी ब्रेटन भी शामिल हैं।
यूरोपीय आयोग ने बयान जारी कर कहा कि वह इस अमेरिकी फैसले की “कड़े शब्दों में निंदा” करता है और इस पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि EU एक नियम-आधारित, संप्रभु बाज़ार है और उसे अपनी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के तहत डिजिटल नियम बनाने का पूरा अधिकार है।फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी वीज़ा प्रतिबंधों को “यूरोपीय डिजिटल संप्रभुता को कमजोर करने की कोशिश” बताया। उन्होंने कहा कि EU के डिजिटल नियम लोकतांत्रिक प्रक्रिया से पारित हुए हैं और किसी तीसरे देश को निशाना नहीं बनाते।
अमेरिका का यह कदम मई में घोषित नई वीज़ा नीति के तहत उठाया गया है, जिसका उद्देश्य ऐसे विदेशी नागरिकों पर रोक लगाना है, जिन पर अमेरिका में संरक्षित अभिव्यक्ति की सेंसरशिप का आरोप है। अन्य प्रतिबंधित लोगों में सेंटर फॉर काउंटरिंग डिजिटल हेट के प्रमुख इमरान अहमद, जर्मनी की संस्था HateAid की जोसेफिन बैलन और अन्ना-लेना वॉन होडेनबर्ग, तथा ग्लोबल डिसइन्फॉर्मेशन इंडेक्स की क्लेयर मेलफोर्ड शामिल हैं। ब्रेटन ने प्रतिक्रिया में कहा कि EU का डिजिटल सर्विसेज़ एक्ट 2022 में सभी 27 सदस्य देशों की सहमति से पारित हुआ था और “सेंसरशिप वहां नहीं है, जहां अमेरिका समझ रहा है।”