भारत देगा चीन को बड़ा झटका, धौंस दिखाने वाले बीजिंग की भी निकल सकती है हवा

Edited By Updated: 25 Dec, 2025 08:40 PM

india will deliver a major blow to china

अमेरिका द्वारा लगाए गए हाई टैरिफ के दबाव के बीच भारत अब अपने वैश्विक व्यापार संतुलन को नए सिरे से साधने की कोशिश में जुट गया है। इसी रणनीति के तहत चीन के साथ जमी बर्फ पिघलाने और व्यापारिक रिश्तों को दोबारा संतुलित करने के संकेत मिल रहे हैं, ताकि...

नेशनल डेस्क: अमेरिका द्वारा लगाए गए हाई टैरिफ के दबाव के बीच भारत अब अपने वैश्विक व्यापार संतुलन को नए सिरे से साधने की कोशिश में जुट गया है। इसी रणनीति के तहत चीन के साथ जमी बर्फ पिघलाने और व्यापारिक रिश्तों को दोबारा संतुलित करने के संकेत मिल रहे हैं, ताकि अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम की जा सके और चीन, रूस व अन्य देशों के बाजारों की ओर रुख बढ़ाया जा सके। हालांकि, हालिया आंकड़े बताते हैं कि इन कोशिशों के बावजूद चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा और बढ़ गया है, क्योंकि चीन से आयात तेज़ी से बढ़ रहा है, जबकि भारत का निर्यात अपेक्षाकृत कमजोर बना हुआ है।

कहां से बढ़ेगी चीन की चिंता?

इसी बीच ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक अहम रिपोर्ट ने भारत के लिए एक बड़ा अवसर सामने रखा है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के पास चीन की वैश्विक पकड़ को चुनौती देने का मौका है, खासकर न्यूजीलैंड जैसे बाजार में।

वर्ष 2024-25 में न्यूजीलैंड ने चीन से 10 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का आयात किया, जबकि भारत से केवल 71.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर का सामान खरीदा गया। यह तब है, जब न्यूजीलैंड का कुल आयात करीब 50 अरब अमेरिकी डॉलर का रहा।

FTA से खुल सकते हैं नए रास्ते

GTRI का कहना है कि प्रस्तावित द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के तहत भारतीय निर्यातकों के लिए कई सेक्टरों में बड़े मौके मौजूद हैं। इनमें कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, पेट्रोलियम उत्पाद, औद्योगिक रसायन, दवाएं और स्वास्थ्य सेवाएं, वस्त्र व परिधान, इलेक्ट्रॉनिक और विद्युत उपकरण, मोटर वाहन, परिवहन उपकरण, वैमानिकी, उच्च मूल्य विनिर्माण और फर्नीचर जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के अनुसार, कई ऐसे सेक्टर हैं जहां चीनी प्रतिस्पर्धा लगभग न के बराबर है, इसके बावजूद भारत का निर्यात सिर्फ 1 लाख से 50 लाख अमेरिकी डॉलर के बीच सीमित है। यह दर्शाता है कि यह बाजार किसी स्थापित सप्लायर द्वारा बंद नहीं है, बल्कि अब तक काफी हद तक अनछुआ रहा है।

कैसे निकल सकती है चीन की हवा?

उदाहरण के तौर पर, भारत दुनिया के सबसे बड़े परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पाद निर्यातकों में शामिल है, जिसका वैश्विक निर्यात करीब 69.2 अरब अमेरिकी डॉलर का है। वहीं न्यूजीलैंड हर साल लगभग 6.1 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है, लेकिन भारत से केवल 23 लाख अमेरिकी डॉलर का ही आयात करता है। इसके उलट, चीन से उसे 18.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आपूर्ति होती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के सामने असली चुनौती सिर्फ FTA करना नहीं, बल्कि उसे लक्षित निर्यात प्रोत्साहन, मानक सहयोग, नियामक प्रक्रियाओं में सरलता और मजबूत लॉजिस्टिक सपोर्ट के साथ जोड़ना है। अगर ऐसा किया गया, तो भारत न्यूजीलैंड जैसे बाजारों में चीन पर निर्भरता कम कर सकता है और वैश्विक व्यापार में अपनी पकड़ कहीं ज्यादा मजबूत बना सकता है।

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