Edited By Radhika,Updated: 31 Dec, 2025 04:37 PM

वैश्विक आर्थिक माहौल चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत वृद्धि बनाए रखने की संभावना है और इसे मजबूत घरेलू मांग, नियंत्रित मुद्रास्फीति एवं संतुलित व्यापक आर्थिक नीतियों से समर्थन मिल रहा है।
नेशनल डेस्क: वैश्विक आर्थिक माहौल चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत वृद्धि बनाए रखने की संभावना है और इसे मजबूत घरेलू मांग, नियंत्रित मुद्रास्फीति एवं संतुलित व्यापक आर्थिक नीतियों से समर्थन मिल रहा है। RBI ने बुधवार को एक रिपोर्ट में यह बात कही। RBI ने अपनी 'वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट' (एफएसआर) में कहा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत है। बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी और नकदी भंडार है, उनकी परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार हुआ है और लाभ भी मजबूत बना हुआ है।
आरबीआई ने कहा,"घरेलू वित्तीय प्रणाली मजबूत है जिसे सुदृढ़ बहीखाते, अनुकूल वित्तीय हालात और वित्तीय बाजारों में कम उतार-चढ़ाव से समर्थन मिला है। हालांकि, निकट अवधि में भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक व्यापार अनिश्चितता से जोखिम बने हुए हैं।" केंद्रीय बैंक के व्यापक दबाव परीक्षण के परिणाम इसकी पुष्टि करते हैं कि बैंक प्रतिकूल परिस्थितियों में भी संभावित नुकसान सहन कर पाने में सक्षम हैं और उनकी पूंजी नियामकीय न्यूनतम स्तर से काफी ऊपर बनी रहेगी। रिपोर्ट में म्यूचुअल फंड कंपनियों और समाशोधन निगमों की स्थिति को भी मजबूत बताया गया है। इसके अलावा, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) पर्याप्त पूंजी, स्थिर आय और बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता के कारण मजबूत बनी हुई हैं।

आरबीआई रिपोर्ट के मुताबिक बीमा क्षेत्र में भी बहीखाते की स्थिति मजबूत है और एकीकृत सॉल्वेंसी अनुपात भी तय न्यूनतम सीमा से ऊपर है। सॉल्वेंसी अनुपात बीमा क्षेत्र में किसी कंपनी की दीर्घकालिक देनदारियों को पूरा करने और पॉलिसीधारकों के दावों का भुगतान करने की क्षमता को मापता है। यह रिपोर्ट वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (एफएसडीसी) की उप-समिति के उस सामूहिक आकलन को दर्शाती है, जिसमें भारतीय वित्तीय प्रणाली की मजबूती और वित्तीय स्थिरता से जुड़े जोखिमों का मूल्यांकन किया गया है।