Edited By Mansa Devi,Updated: 22 Jun, 2025 12:41 PM

सिंधु जल विवाद ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच नए राजनीतिक तनाव को जन्म दिया है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के बयान से इस बहस ने और भी तूल पकड़ा है, जबकि पंजाब सरकार ने अपने पक्ष में कड़ा रुख अपनाया है। साथ ही पंजाब सरकार ने...
नेशनल डेस्क: पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने सिंधु समझौते को रद्द कर पाकिस्तान की ओर जाने वाला पानी रोक दिया था, जिसके बाद अब पानी को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में बयान दिया है कि सिंधु समझौते के रद्द होने के बाद बचा हुआ पानी केवल जम्मू-कश्मीर का अधिकार है। उन्होंने कहा कि जम्मू क्षेत्र में सूखे की स्थिति है और वहां पानी की किल्लत है, इसलिए वे फिलहाल पंजाब, हरियाणा और राजस्थान को पानी देने के पक्ष में नहीं हैं।
उमर अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि पंजाब ने पहले भी जरूरत के समय जम्मू-कश्मीर को पानी नहीं दिया, इसलिए अब वह उन राज्यों को पानी भेजने का पक्ष नहीं रखते। उनके इस बयान पर पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कड़ा विरोध जताया। चीमा ने कहा कि पानी का मामला राष्ट्रीय महत्व का है और इसमें सभी राज्यों का लाभ होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से होते हुए पाकिस्तान जाने वाले जल को रोकने का सरकार का निर्णय स्वागत योग्य है, लेकिन इस पानी को पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर के बीच सही तरीके से बांटा जाना चाहिए। पंजाब पर राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले को पर्याप्त पानी न देने का भी आरोप है, जिसे हरपाल सिंह चीमा ने खारिज किया। उन्होंने कहा कि पंजाब अपने हिस्से का पानी राजस्थान को दे रहा है और उसके पास इससे अधिक पानी उपलब्ध नहीं है।
पंजाब कैबिनेट ने लिए कई अहम फैसले
पंजाब की कैबिनेट ने मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में महत्वपूर्ण बैठक की। इसमें जेल प्रशासन को मजबूत करने के लिए 500 नए अधिकारियों की नियुक्ति का निर्णय लिया गया। साथ ही फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट की अवधि एक साल से बढ़ाकर तीन साल कर दी गई है। इसके अलावा पंजाब लेबर वेलफेयर फंड में नियोक्ता और कर्मचारी के योगदान को भी बढ़ाया गया है। अब कर्मचारी का मासिक योगदान 10 रुपए और नियोक्ता का 40 रुपए होगा।