Edited By Anu Malhotra,Updated: 23 Oct, 2025 02:04 PM

अमेरिका की चर्चित यौन शोषण पीड़िता वर्जीनिया गिफ्रे एक बार फिर सुर्खियों में हैं। जेफ्री एपस्टीन के कुख्यात सेक्स ट्रैफिकिंग नेटवर्क की प्रमुख सर्वाइवर मानी जाने वाली गिफ्रे की मौत के बाद उनकी आत्मकथा ‘Nobody’s Girl: A Memoir of Surviving Abuse and...
इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिका की चर्चित यौन शोषण पीड़िता वर्जीनिया गिफ्रे एक बार फिर सुर्खियों में हैं। जेफ्री एपस्टीन के कुख्यात सेक्स ट्रैफिकिंग नेटवर्क की प्रमुख सर्वाइवर मानी जाने वाली गिफ्रे की मौत के बाद उनकी आत्मकथा ‘Nobody’s Girl: A Memoir of Surviving Abuse and Fighting for Justice’ प्रकाशित हुई है। इस किताब में उन्होंने अपने दर्दनाक अनुभवों का विस्तार से उल्लेख किया है - और इसी के साथ एक ऐसा दावा किया है जिसने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है।
गिफ्रे ने खुलासा किया है कि 2002 में एक 'प्रमुख प्रधानमंत्री' ने एपस्टीन के निजी द्वीप पर उनका रेप किया था। हालांकि उन्होंने पुस्तक में उस प्रधानमंत्री का नाम नहीं लिखा, लेकिन बाद में अदालत में उन्होंने उसे इज़राइल के पूर्व प्रधानमंत्री एहुड बराक के रूप में पहचाना था। बराक ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है, हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि वे एपस्टीन के परिचित थे।
गला दबाया गया, जान की भीख मांगनी पड़ी...
वर्जीनिया गिफ्रे ने बताया कि यह घटना उनके जीवन की सबसे भयावह रात थी। किताब के मुताबिक, उस दौरान उन्हें न केवल शारीरिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी बल्कि मानसिक रूप से भी तोड़ दिया गया। गिफ्रे ने लिखा — “वह खुश था मुझे तड़पते और जान की भीख मांगते देख कर।” यह अनुभव ही उनके जीवन का ऐसा मोड़ बना जिसने उन्हें एपस्टीन के नेटवर्क से बाहर निकलने और न्याय की लड़ाई लड़ने की ताकत दी।
डर, धमकी और चुप्पी की साज़िश
अपनी आत्मकथा में गिफ्रे ने खुलासा किया है कि एपस्टीन के नेटवर्क से जुड़े कई ताकतवर लोगों के नाम वह उजागर नहीं कर पाईं। उनका कहना है कि इन लोगों ने उन्हें मुकदमों, धमकियों और आर्थिक नुकसान की चेतावनी देकर चुप रहने को मजबूर किया। वे लिखती हैं कि उनके खिलाफ एक सुनियोजित अभियान चलाया गया ताकि वे डरकर पीछे हट जाएं।
यह केवल शोषण की कहानी नहीं, बल्कि साहस की यात्रा है
400 पन्नों की इस आत्मकथा में वर्जीनिया ने केवल अपनी पीड़ा नहीं बताई, बल्कि यह भी दिखाया है कि कैसे उन्होंने टूटे हुए मन से उठकर न्याय की दिशा में कदम बढ़ाए। यह किताब किसी ‘विक्टिम स्टोरी’ से ज्यादा एक 'सर्वाइवल जर्नी' है—जहां हर पन्ना उनके साहस, संघर्ष और आत्मसम्मान की लड़ाई का प्रतीक है।
प्रिंस एंड्रयू का भी नाम आया सामने
गिफ्रे की कहानी ब्रिटिश शाही परिवार तक भी पहुंचती है। उन्होंने इस संस्मरण में यह भी बताया है कि जब वे किशोर अवस्था में थीं, तब प्रिंस एंड्रयू ने उनका यौन उत्पीड़न किया था। गिफ्रे के मुताबिक, जब उन्होंने अदालत में यह केस लड़ा तो प्रिंस एंड्रयू के समर्थकों ने उन्हें सोशल मीडिया पर बदनाम करने की कोशिश की और ट्रोलिंग के जरिए मानसिक प्रताड़ना दी। हालांकि प्रिंस एंड्रयू ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है।
न्याय की लड़ाई का प्रतीक बनी वर्जीनिया
वर्जीनिया गिफ्रे अब नहीं रहीं, लेकिन उनकी आत्मकथा उन अनगिनत पीड़ितों के लिए उम्मीद की किरण बन गई है जो न्याय पाने की हिम्मत जुटा नहीं पाते। उन्होंने साबित किया कि सच कितना भी दबाया जाए, एक दिन वह सामने आ ही जाता है। उनकी यह किताब न सिर्फ एपस्टीन स्कैंडल के काले सच को उजागर करती है, बल्कि समाज को यह भी याद दिलाती है कि भय से बड़ी ताकत, साहस की होती है।