डॉक्टर साहब! हम तो जश्न की तैयारी कर रहे थे, पर बेटी के बर्थडे से पहले ही...

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 10 Jun, 2025 11:45 AM

kanpur innocent child dies in private hospital

कानपुर के कल्याणपुर थानाक्षेत्र में एक निजी अस्पताल में भर्ती बुखार से पीड़ित एक मासूम बच्ची की मौत हो गई जिसके बाद परिजनों ने डॉक्टर पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया. सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को शांत...

नेशनल डेस्क। कानपुर के कल्याणपुर थानाक्षेत्र में एक निजी अस्पताल में भर्ती बुखार से पीड़ित एक मासूम बच्ची की मौत हो गई जिसके बाद परिजनों ने डॉक्टर पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया. सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को शांत कराया. पुलिस ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कर अस्पताल संचालक को हिरासत में ले लिया है.

बुखार के बाद भर्ती हुई थी मासूम 

मकसूदाबाद के कपड़ा कारोबारी निर्मल कुमार की बेटी आरवी (KG की छात्रा) को पिछले कुछ दिनों से बुखार आ रहा था. निर्मल के मुताबिक चार दिन पहले उन्होंने कल्याणपुर स्थित एक अस्पताल में डॉ. अनूप अग्रवाल से अपनी बेटी का इलाज कराना शुरू किया था. जब आरवी को आराम नहीं मिला तो पांचवें दिन वह उसे लेकर फिर अस्पताल पहुंचे. उस समय डॉ. अनूप अस्पताल में मौजूद नहीं थे. उन्होंने फोन पर ही आरवी को अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी जिसके बाद बच्ची को भर्ती कर लिया गया.

फोन पर चलता रहा इलाज, फिर बिगड़ी हालत

पिता निर्मल का आरोप है कि डॉ. अनूप अस्पताल नहीं आए और फोन पर ही नर्सिंग स्टाफ को इलाज के निर्देश देते रहे. उनके निर्देश पर आरवी को चार इंजेक्शन लगाए गए जिसके बाद उसकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई. जब बच्ची की हालत ज्यादा खराब हो गई तब करीब दो घंटे बाद डॉ. अनूप अस्पताल पहुंचे और परिजनों से आरवी को हैलट अस्पताल या किसी अन्य बड़े अस्पताल में ले जाने को कहा. परिजन बच्ची को पास के एक अन्य अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने आरवी को मृत घोषित कर दिया.

 

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पिता का दर्द छलक पड़ा: "जान तो बच जाती..."

बेटी की मौत के बाद पिता निर्मल का दर्द छलक पड़ा. उन्होंने रोते हुए कहा, "डॉक्टर साहब! अगर आप इलाज नहीं कर पा रहे थे तो कम से कम बता तो देते. हम किसी बड़े डॉक्टर के यहां लेकर चले जाते. कम से कम बेटी की जान तो बच जाती. हम तो बेटी के बर्थडे की तैयारी में जुटे थे लेकिन आपने तो जान ही ले ली."

वहीं पुलिस इस मामले की गहनता से जांच कर रही है और अस्पताल संचालक को हिरासत में लेकर आगे की कार्रवाई की जा रही है. यह घटना एक बार फिर निजी अस्पतालों में चिकित्सा लापरवाही और डॉक्टरों की अनुपस्थिति में इलाज के खतरों को उजागर करती है.

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