Edited By rajesh kumar,Updated: 13 Sep, 2024 02:34 PM
शादी-ब्याह जैसे मामलों में आमतौर पर माता-पिता बच्चों को कम ही सलाह देते हैं। ऐसे में अगर किसी देश की सरकार लड़कियों को पैसे देकर शादी करवाने की स्कीम लेकर आए, तो यह काफी अजीब लगता है। जापान, जो अक्सर अपनी तकनीक और नैतिक मूल्यों के लिए चर्चा में रहता...
नेशनल डेस्क: शादी-ब्याह जैसे मामलों में आमतौर पर माता-पिता बच्चों को कम ही सलाह देते हैं। ऐसे में अगर किसी देश की सरकार लड़कियों को पैसे देकर शादी करवाने की स्कीम लेकर आए, तो यह काफी अजीब लगता है। जापान, जो अक्सर अपनी तकनीक और नैतिक मूल्यों के लिए चर्चा में रहता है, हाल ही में एक ऐसी ही अजीब स्कीम की वजह से सुर्खियों में आया है।
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शादी करने पर मिलेंगे पैसे!
जापान की सरकार ने लड़कियों को प्रोत्साहित करने के लिए एक अनोखी स्कीम शुरू की थी, जिसमें गांव के लड़कों से शादी करने पर उन्हें 6,00,000 येन यानी लगभग 3.52 लाख रुपए देने का वादा किया गया था। जापान में गांवों से बड़े पैमाने पर हो रहे पलायन के कारण कई ग्रामीण इलाके खाली हो चुके हैं। ऐसे में सरकार चाहती थी कि टोक्यो जैसे बड़े शहर की लड़कियां गांव के लड़कों से शादी करके वहां बसें। इस योजना के तहत टोक्यो की 23 नगर परिषदों में रहने वाली लड़कियों को यह ऑफर दिया गया था। सरकार ने यहां तक कहा था कि वह लड़कियों के आने-जाने और मैचमेकिंग इवेंट्स का खर्चा भी उठाएगी।
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विरोध के बाद सरकार ने वापस लिया फैसला
हालांकि, इस स्कीम को लेकर जापान के विपक्षी दल और सोशल मीडिया पर जमकर विरोध हुआ। लोगों ने इस योजना को महिलाओं की स्वतंत्रता और अधिकारों के खिलाफ बताया। बढ़ते विरोध के कारण सरकार को अपनी यह स्कीम वापस लेनी पड़ी।
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अन्य देशों में भी हैं ऐसी योजनाएं
आपको बता दें कि इस तरह की स्कीम केवल जापान तक सीमित नहीं है। चीन में भी ऐसी योजनाएं काफी सामान्य हैं। मार्च में चीन के गुआंगडॉन्ग प्रांत में सरकार ने शादी करने और बच्चे पैदा करने पर लोगों को पैसे देने का ऑफर दिया था। यहां तक कि 25 साल या उससे कम उम्र की लड़कियों को शादी और बच्चे पैदा करने के लिए विशेष रूप से पैसे दिए जा रहे थे। जापान में जन्म दर में गिरावट और बढ़ती बुजुर्ग आबादी को देखते हुए, सरकार भी ऐसी योजनाओं के जरिए जनसंख्या को बढ़ावा देना चाहती थी। इस तरह की योजनाएं समाज में बहस का मुद्दा बन जाती हैं क्योंकि वे नैतिक और सामाजिक मूल्यों को चुनौती देती हैं। जापान में इस योजना के वापस लिए जाने से साफ है कि जनता की आवाज़ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।