Meta लेकर आई नई AI तकनीक, अब सिर्फ सोचने से ही हो जाएगा टाइप

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 09 Mar, 2025 12:19 PM

meta brought new ai technology now just thinking will make you type

क्या हो अगर आप जो सोचें वह अपने आप स्क्रीन पर टाइप हो जाए? यह सोचने में शायद एक साइंस फिक्शन फिल्म जैसा लगे लेकिन तकनीकी दुनिया में यह धीरे-धीरे हकीकत बनने की दिशा में बढ़ रहा है। Meta (पहले Facebook) ने 2017 में इस अनोखी ब्रेन-टाइपिंग तकनीक का...

नेशनल डेस्क। क्या हो अगर आप जो सोचें वह अपने आप स्क्रीन पर टाइप हो जाए? यह सोचने में शायद एक साइंस फिक्शन फिल्म जैसा लगे लेकिन तकनीकी दुनिया में यह धीरे-धीरे हकीकत बनने की दिशा में बढ़ रहा है। Meta (पहले Facebook) ने 2017 में इस अनोखी ब्रेन-टाइपिंग तकनीक का कॉन्सेप्ट पेश किया था। इसका उद्देश्य यह है कि इंसान बिना कीबोर्ड या स्क्रीन के सिर्फ अपने दिमाग से शब्दों को टाइप कर सके।

कैसे काम करता है Meta का ब्रेन-टाइपिंग AI?

Meta की यह तकनीक न्यूरोसाइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के संयोजन से काम करती है। यह ब्रेन की गतिविधियों का विश्लेषण करके अनुमान लगाती है कि व्यक्ति कौन सा अक्षर या शब्द टाइप करना चाहता है। इसके लिए एक विशेष मशीन का उपयोग किया जाता है जो मस्तिष्क से निकलने वाले मैग्नेटिक संकेतों को पकड़कर उन्हें टेक्स्ट में बदलती है।

 

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MIT Technology Review के मुताबिक इस तकनीक में मैग्नेटोएन्सेफलोग्राफी (MEG) मशीन का इस्तेमाल किया जाता है जो मस्तिष्क की सूक्ष्म गतिविधियों को रिकॉर्ड करने में सक्षम है। यह मशीन बहुत सटीक है लेकिन इसका आकार काफी बड़ा और कीमत बहुत अधिक है जिससे इसका आम उपयोग फिलहाल संभव नहीं है।

अभी आम जनता के लिए नहीं है उपलब्ध

भले ही यह तकनीक विज्ञान की दुनिया में एक क्रांतिकारी कदम हो लेकिन इसे रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करने के लिए अभी काफी समय लग सकता है। MEG मशीन का वजन लगभग 500 किलोग्राम है और इसकी कीमत लगभग 16 करोड़ रुपये बताई जाती है। इसके अलावा इस मशीन के ठीक से काम करने के लिए व्यक्ति को पूरी तरह से स्थिर बैठना पड़ता है क्योंकि हल्की सी भी हरकत डेटा को गड़बड़ कर सकती है।

 

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Meta के शोधकर्ता Jean-Remi King और उनकी टीम इस तकनीक को किसी प्रोडक्ट के रूप में लाने के बजाय ब्रेन में भाषा की प्रोसेसिंग को समझने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसका मतलब है कि फिलहाल यह तकनीक रिसर्च के चरण में है लेकिन भविष्य में यह इंसानों के बीच संवाद करने के तरीके को पूरी तरह बदल सकती है।

Meta की ब्रेन-टाइपिंग तकनीक निश्चित रूप से विज्ञान और तकनीकी दुनिया में एक नया अध्याय जोड़ रही है लेकिन इसे सामान्य उपयोग के लिए तैयार होने में अभी वक्त लगेगा। हालांकि भविष्य में यह तकनीक इंसान और मशीन के बीच संवाद के तरीके को बदल सकती है जिससे हम बिना किसी उपकरण के केवल अपने विचारों से संवाद कर सकेंगे।

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