Edited By Rahul Rana,Updated: 20 Jun, 2025 04:38 PM
इजराइल और ईरान के बीच जारी तनाव के बीच अमेरिका की हालिया रणनीति से ईरान में चिंता की लहर दौड़ गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान ने स्थिति को और संवेदनशील बना दिया है। ट्रंप ने कहा, "अगर जरूरत पड़ी तो पाकिस्तान अमेरिका के काम आ सकता...
New Delhi : इजराइल और ईरान के बीच जारी तनाव के बीच अमेरिका की हालिया रणनीति से ईरान में चिंता की लहर दौड़ गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान ने स्थिति को और संवेदनशील बना दिया है। ट्रंप ने कहा, "अगर जरूरत पड़ी तो पाकिस्तान अमेरिका के काम आ सकता है। पाकिस्तान इज़राइल के खिलाफ नहीं है और जनरल मुनीर ईरान को अच्छी तरह जानते हैं। वह अमेरिका के रुख से सहमत हैं।"
ट्रंप के इस बयान के बाद ईरान ने तुरंत प्रतिक्रिया दी है। भारत में मौजूद ईरानी दूतावास के डिप्टी चीफ मोहम्मद जवाद होसेनी ने बयान जारी करते हुए कहा, "हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान, अमेरिका के हाथों एक 'कार्ड' की तरह इस्तेमाल नहीं होगा। मतलब यह कि वह अमेरिका के इशारों पर नहीं चलेगा।"
ईरान का यह बयान साफ इशारा करता है कि उसे आशंका है कि अमेरिका, पाकिस्तान को अपने हितों के लिए इस्तेमाल कर सकता है, जिससे पश्चिम एशिया की स्थिति और अधिक अस्थिर हो सकती है।
ईरान ने जताया भरोसा – पाकिस्तान हमारे साथ है
ईरान ने इज़राइल के साथ जारी तनाव के बीच पाकिस्तान को लेकर विश्वास जताया है। भारत में ईरानी दूतावास के डिप्टी चीफ मोहम्मद जवाद होसेनी ने कहा, "मुझे भरोसा है कि पाकिस्तान उस रास्ते पर नहीं जाएगा और इज़राइली हमलों के खिलाफ ईरान के साथ खड़ा रहेगा।" यह बयान तब आया जब होसेनी से पूछा गया कि क्या अमेरिका, खासकर पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल मुनीर की अमेरिका यात्रा के बाद, पाकिस्तान से किसी तरह की सैन्य या रणनीतिक मदद ले पाएगा? इसके जवाब में होसेनी ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान ईरान का साथ देगा।
उन्होंने आगे कहा कि भारत जैसे देश, जो दक्षिणी गोलार्द्ध की आवाज़ माने जाते हैं और शांति के समर्थक हैं, उन्हें इस संघर्ष में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने आग्रह किया कि भारत को समन्वय करते हुए इज़राइल पर दबाव बनाना चाहिए और सबसे पहले उसके आक्रामक रवैये की सार्वजनिक रूप से निंदा करनी चाहिए। ईरान का यह बयान इस ओर इशारा करता है कि वह क्षेत्रीय सहयोग और कूटनीतिक समर्थन की उम्मीद भारत और पाकिस्तान जैसे देशों से कर रहा है, ताकि इज़राइल की कार्रवाईयों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया जा सके।
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होसेनी ने कहा-फिलिस्तीनियों की हत्या के समय उठती आवाज तो इजरायल न करता ये हिम्मत
होसेनी ने कहा, "अगर अक्टूबर 2023 में जब इज़रायल ने हमास के सफाए के नाम पर फिलिस्तीनियों की हत्या की थी, उस समय उसकी निंदा की गई होती, तो शायद वह ईरान जैसे एक संप्रभु राष्ट्र पर हमला करने का निर्णय नहीं लेता।"
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर भी दी सफाई
ईरानी राजनयिक मोहम्मद जवाद होसेनी ने ईरान के परमाणु कार्यक्रमों पर भी अपना पक्ष स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, "अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) पहले ही यह स्पष्ट कर चुकी है कि उसके पास ऐसा कोई प्रमाण नहीं है जिससे यह कहा जा सके कि ईरान अपनी परमाणु गतिविधियां किसी सैन्य उद्देश्य से कर रहा है।"
हालांकि, होसेनी ने यह भी कहा कि IAEA की भूमिका को लेकर सवाल उठे हैं, खासकर तब जब उसने ईरान के खिलाफ इज़राइल द्वारा किए गए सैन्य हमले को नजरअंदाज किया या उसमें अप्रत्यक्ष रूप से साथ दिया। इससे एजेंसी की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर संदेह पैदा हुआ है।
होसेनी के इस बयान से यह संदेश गया कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को शांतिपूर्ण मानता है और उस पर लगाए जा रहे सैन्य उद्देश्य के आरोपों को राजनीति से प्रेरित मानता है।