MP का 'अग्निवीर' अरुणाचल में शहीद: बहन की शादी धूमधाम से कराना चाहते थे, हादसे में गई जान

Edited By Updated: 10 Dec, 2025 02:11 AM

mp s  agniveer  martyred in arunachal

मध्य प्रदेश के धार जिले के पीथमपुर का वातावरण उस समय शोक में डूब गया जब अरुणाचल प्रदेश से देश की सेवा कर रहे अग्निवीर मनीष यादव की शहादत की खबर आई।

नेशनल डेस्कः मध्य प्रदेश के धार जिले के पीथमपुर का वातावरण उस समय शोक में डूब गया जब अरुणाचल प्रदेश से देश की सेवा कर रहे अग्निवीर मनीष यादव की शहादत की खबर आई। मनीष ने कम उम्र में ही देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। परिवार, मित्र और पड़ोस आज भी यकीन नहीं कर पा रहे कि उनका होनहार बेटा, भाई और दोस्त अब इस दुनिया में नहीं है।

ड्यूटी के दौरान दर्दनाक हादसा

मनीष यादव अरुणाचल प्रदेश के ऊंचे और कठिन इलाकों में सेना के ऊर्जा उपकरणों व तकनीकी कार्यों से जुड़ी ड्यूटी पर तैनात थे। 3 दिसंबर की शाम, यूनिट की नियमित फील्ड गतिविधियों के दौरान एक बड़ा हादसा हो गया जिसमें मनीष गंभीर रूप से घायल हो गए और इलाज से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया।

20 साल पहले बिहार से आए थे MP, पीथमपुर था मनीष का घर

मनीष का परिवार मूल रूप से बिहार का है। पिछले 20 सालों से पीथमपुर की वृंदावन कॉलोनी में रह रहा था। यहां मनीष का बचपन, पढ़ाई और सेना में भर्ती होने का सपना पनपा था।

शहादत की खबर मिलते ही परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

सेना से संदेश मिलते ही परिवार में चीख-पुकार मच गई। बड़े भाई मुन्ना यादव ने सब रिश्तेदारों को सूचना दी और उसी रात परिवार बिहार रवाना हो गया, जहां मनीष का अंतिम संस्कार किया गया।

बहन की शादी को लेकर मनीष का अधूरा सपना

मनीष की हार्दिक इच्छा थी कि: “बहन की शादी मैं खूब धूमधाम से कराऊंगा।” पिछली छुट्टियों में उन्होंने परिवार और दोस्तों से यही कहा था। उन्होंने यह भी कहा था कि सेना की नौकरी पूरी कर वे परिवार को एक बेहतर भविष्य देना चाहते हैं।

अनुशासन और जिम्मेदारी की मिसाल थे मनीष

पारिवारिक मित्र दिलीप कुशवाह का कहना है कि मनीष बचपन से सेना में जाने का सपना देखते थे। अग्निवीर के रूप में चयन होने पर वे बेहद खुश थे। बहुत शांत, अनुशासित और परिवार के प्रति जिम्मेदार थे।

करीबी दोस्त हनी कुशवाह के अनुसार मनीष हमेशा परिवार को प्राथमिकता देते थे। हर फैसले में माता-पिता और भाई को साथ रखते थे।

दोस्तों की यादों में हमेशा जिंदा रहेंगे मनीष

उनके खेल साथी जितेंद्र नागर ने कहा,“हमने सालों तक साथ क्रिकेट खेला। यह खबर सुनकर दिल टूट गया।” मनीष की चाहत थी कि वे सेना में लंबे समय तक देश की सेवा करें। लेकिन एक हादसे ने उनके सपने और जीवन, दोनों को बीच राह में रोक दिया।

पीथमपुर ने अपने वीर बेटे को सलाम किया

मनीष की शहादत ने पूरे शहर को झकझोर दिया। पड़ोस के लोग, दोस्त, रिश्तेदार सभी भावुक हैं। प्रशासनिक अधिकारी भी परिवार के साथ खड़े हैं। मनीष का बलिदान हमेशा याद रखा जाएगा। देश उनके साहस और समर्पण को सलाम करता है।

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