विदेश पैसा भेजना अब नहीं होगा आसान! बैंको को देना होगा कमाई का सबूत

Edited By Updated: 25 Dec, 2025 07:45 PM

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रुपये की गिरावट के बीच विदेश पैसा भेजने वाले अमीर भारतीयों और एनआरआई (NRI) पर निजी बैंकों ने शिकंजा कस दिया है। अब एलआरएस (LRS) के तहत विदेश फंड ट्रांसफर करने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) से प्रमाणित 'सोर्स ऑफ फंड्स' सर्टिफिकेट देना जरूरी होगा।...

नेशनल डेस्क : रुपये के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने और घरेलू मुद्रा के कमजोर पड़ने के बीच कई अमीर भारतीय विदेश में पैसा भेजने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। इसी पृष्ठभूमि में कुछ बड़े प्राइवेट बैंकों ने रेमिटेंस प्रक्रिया को लेकर सख्ती बढ़ा दी है। जानकारी के मुताबिक, पिछले एक महीने के दौरान मुंबई मुख्यालय वाले कम से कम दो बड़े निजी बैंकों ने अपने ग्राहकों से विदेश भेजे जाने वाले पैसों के स्रोत यानी सोर्स ऑफ फंड्स से जुड़ा प्रमाणपत्र मांगा है। यह मांग स्थानीय हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNI), एनआरआई और यहां तक कि एक फिल्म प्रोडक्शन कंपनी से भी की गई है। बैंकों का कहना है कि विदेश ट्रांसफर से पहले फंड के स्रोत का चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) द्वारा प्रमाणन जरूरी है।

इतना ही नहीं, कुछ मामलों में बैंकों ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह सर्टिफिकेट केवल उन्हीं चार्टर्ड अकाउंटेंट्स से स्वीकार किया जाएगा, जो बैंक के पैनल में शामिल हों। इस अतिरिक्त शर्त के चलते कई ग्राहकों को रेमिटेंस प्रक्रिया में देरी और परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

LRS के तहत क्या हैं नियम
भारतीय रिजर्व बैंक की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत कोई भी रेजिडेंट भारतीय एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 2.5 लाख डॉलर तक विदेश भेज सकता है। यह राशि विदेश में निवेश, प्रॉपर्टी खरीदने, यात्रा, पढ़ाई या अन्य अनुमत उद्देश्यों के लिए भेजी जा सकती है। वहीं, एनआरआई भारत में प्रॉपर्टी या अन्य एसेट्स बेचने के बाद साल में अधिकतम 10 लाख डॉलर तक विदेश ट्रांसफर कर सकते हैं। इसके अलावा, भारतीय बिजनेस भी विदेश में अपने वेंडर्स या सर्विस प्रोवाइडर्स को भुगतान कर सकते हैं, जैसे फिल्म शूटिंग, होटल बुकिंग या अन्य प्रोफेशनल खर्चों के लिए।

क्या बढ़ गया है कंप्लायंस का दबाव?
टैक्स और फॉरेन एक्सचेंज मामलों के जानकार राजेश पी शाह के अनुसार, आरबीआई के नियमों में पहले से ही यह स्पष्ट है कि LRS के तहत केवल व्यक्ति का खुद का पैसा ही विदेश भेजा जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक बार जब चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा जरूरी सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है, तो अलग से सोर्स ऑफ फंड्स सर्टिफिकेट मांगने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। हालांकि, बैंकों की ओर से कंप्लायंस के नाम पर अतिरिक्त दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, जिससे ग्राहकों की परेशानियां बढ़ रही हैं।

NRO अकाउंट से रेमिटेंस पर भी सख्ती
एनआरआई के NRO अकाउंट से विदेश पैसा भेजने के मामलों में भी नियम काफी सख्त हैं। इस अकाउंट में भारत में कमाई गई आय रखी जाती है, जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट का ब्याज, किराया, डिविडेंड, म्यूचुअल फंड से मिलने वाली रकम या प्रॉपर्टी की बिक्री से प्राप्त राशि। इस खाते से केवल वैध और घोषित आय ही विदेश भेजी जा सकती है, उधार या संदिग्ध स्रोत का पैसा नहीं। चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज भुटा के अनुसार, हाल ही में एक बड़े बैंक पर नियामकीय जुर्माना लगने के बाद अन्य बैंकों ने भी सतर्कता और सख्ती बढ़ा दी है। आरबीआई के FEMA नियमों के तहत यह बैंकों की जिम्मेदारी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि सभी विदेशी ट्रांसफर नियमों के अनुरूप हों।

बिजनेस ट्रांसफर पर सीमा नहीं, फिर भी जांच
हालांकि, बिजनेस से जुड़े विदेशी भुगतानों पर कोई तय सीमा नहीं है और इस तरह के ट्रांसफर वर्किंग कैपिटल से भी किए जा सकते हैं। इसके बावजूद, कई मामलों में फंड सोर्स की अतिरिक्त जांच की जा रही है, जिसे लेकर कारोबारी वर्ग हैरान है। विशेषज्ञों का कहना है कि रुपये की कमजोरी के चलते अमीर भारतीयों में विदेश पैसा भेजने की प्रवृत्ति बढ़ी है। ऐसे में संभावित नियम उल्लंघन से बचने के लिए बैंक फिलहाल ज्यादा सतर्क हो गए हैं, लेकिन इसका सीधा असर ग्राहकों की सुविधा और रेमिटेंस प्रक्रिया पर पड़ रहा है।

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