अब प्राइवेट स्कूल नहीं बढ़ा सकेंगे अपनी मर्जी से फीस, सरकार ने लागू की नई सकीम

Edited By Updated: 25 Dec, 2025 12:04 AM

private schools will no longer be able to increase fees arbitrarily

दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों में मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने की शिकायतों पर बड़ा और सख्त कदम उठाया है। अब राजधानी के हर निजी स्कूल में स्कूल स्तर पर फीस नियंत्रण समिति (School Level Fee Regulation Committee – SLFRC) का गठन करना अनिवार्य होगा।

नेशनल डेस्क: दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों में मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने की शिकायतों पर बड़ा और सख्त कदम उठाया है। अब राजधानी के हर निजी स्कूल में स्कूल स्तर पर फीस नियंत्रण समिति (School Level Fee Regulation Committee – SLFRC) का गठन करना अनिवार्य होगा। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बताया कि यह फैसला दिल्ली स्कूल एजुकेशन (ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीज) एक्ट, 2025 और उससे जुड़े नियमों के तहत लिया गया है, जिन्हें 10 दिसंबर 2025 को अधिसूचित किया गया था। माना जा रहा है कि इस फैसले से अभिभावकों को बड़ी राहत मिलेगी।

‘अब स्कूल अपनी मर्जी से फीस नहीं बढ़ा सकेंगे’

शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने साफ कहा कि अब कोई भी निजी स्कूल मनमाने ढंग से फीस नहीं बढ़ा पाएगा। यदि किसी स्कूल को फीस बढ़ानी है, तो उसे ठोस कारणों के साथ प्रस्ताव फीस नियंत्रण समिति के सामने रखना होगा। शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में विस्तृत आदेश जारी किया है, जो एक्ट की धारा 2(13) के तहत परिभाषित हर ‘स्कूल’ पर लागू होगा। यह आदेश शैक्षणिक सत्र 2025-26 से प्रभावी होगा। सरकार का कहना है कि इस कानून का मुख्य उद्देश्य फीस निर्धारण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है।

समिति गठन की समयसीमा और सख्त नियम

सरकार ने SLFRC के गठन और कामकाज को लेकर स्पष्ट समयसीमा और नियम तय किए हैं-

  • सभी निजी स्कूलों को 10 जनवरी 2026 तक अनिवार्य रूप से SLFRC का गठन करना होगा।
  • समिति के अध्यक्ष और सभी सदस्यों के नाम स्कूल के नोटिस बोर्ड और वेबसाइट पर सार्वजनिक करने होंगे।
  • समिति में शामिल 5 अभिभावक और 3 शिक्षक प्रतिनिधि ड्रॉ ऑफ लॉट्स (लॉटरी) के जरिए चुने जाएंगे।
  • ड्रॉ की तारीख, समय और स्थान की जानकारी कम से कम 7 दिन पहले सार्वजनिक करनी होगी।
  • स्कूल प्रबंधन को प्रस्तावित फीस संरचना 25 जनवरी 2026 तक समिति के सामने रखनी होगी।
  • समिति को फीस प्रस्ताव पर 30 दिनों के भीतर कारण सहित फैसला लेना अनिवार्य होगा।
  • नियमों की अनदेखी, देरी या मनमानी करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
  • यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो चुका है और इसके सख्त पालन के निर्देश दिए गए हैं।

समिति में अभिभावकों की मजबूत भूमिका

11 सदस्यीय इस फीस नियंत्रण समिति में 5 सदस्य अभिभावकों के प्रतिनिधि होंगे, जिससे माता-पिता की भागीदारी और निगरानी मजबूत होगी। बाकी सदस्य स्कूल प्रबंधन और शिक्षकों के प्रतिनिधि होंगे। फीस बढ़ाने से जुड़े सभी प्रस्ताव 25 जनवरी 2026 तक समिति के सामने रखना अनिवार्य होगा और चर्चा के बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकेगा।

इसके अलावा, सिर्फ स्कूल स्तर पर ही नहीं, बल्कि जिला स्तर पर भी फीस नियंत्रण समितियां बनाई जाएंगी। ये समितियां अनियमितताओं पर नजर रखेंगी और अभिभावकों की शिकायतों की सुनवाई करेंगी। सरकार ने साफ कर दिया है कि 2026-27 से एक्ट और नियमों में तय समयसीमा का सख्ती से पालन किया जाएगा।

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