Edited By Tanuja,Updated: 25 May, 2022 12:29 PM
जापान की राजधानी टोक्यो में आयोजित हुए क्वाड समिट में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक तीर से तीन निशाने साधे। इस दौरान...
इंटरनेशनल डेस्कः जापान की राजधानी टोक्यो में आयोजित हुए क्वाड समिट में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक तीर से तीन निशाने साधे। इस दौरान बाइडेन ने भारत-रूस दोस्ती तोड़ने के लिए भी ऐसा दांव चला कि दुनिया हैरान है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बाइडेन ने चीन को घेरने के लिए क्वाड देशों की बैठक में यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस पर जमकर हमला बोला। बाइडेन ने कहा कि रूस यूक्रेन में एक पूरी संस्कृति को ही नष्ट करना चाहता है। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी ऐलान किया कि उनका देश भारत के साथ धरती पर सबसे करीबी साझेदारी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
बाइडेन की रणनीति चीन-रूस पर पड़ेगी भारी
बाइडेन के इस ऐलान के पीछे एक बड़ी रणनीति छिपी है जिससे न केवल चीन चित हो जाएगा, बल्कि रूस को भी अलग-थलग किया जा सकेगा। विश्लेषकों के मुताबिक बाइडेन किसी भी तरह से भारत-रूस की दोस्ती को तोड़ना चाहते हैं। यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत एकमात्र क्वाड देश है जिसने रूसी हमले की आलोचना नहीं की है। भारत रूसी हथियारों और सैन्य तकनीक पर बुरी तरह से निर्भर है। यही वजह है कि भारत पुतिन के खिलाफ कुछ भी बोलने से परहेज कर रहा है। उधर, अमेरिका के साथ रिश्ते ऐतिहासिक रूप से हमेशा से ही संदेह के घेरे में रहे हैं। अब बाइडेन ने भारत-अमेरिका की साझेदारी को पृथ्वी की सबसे निकटतम साझेदारी बनाने का ऐलान करके भारत की इसी हिचकिचाहट को दूर करने का प्रयास किया है।
यूक्रेन संकट का फायदा उठा रहे बाइडेन
इससे अमेरिका को दो फायदे होने जा रहे हैं। पहला भारत जैसी उभरता हुआ बाजार अमेरिका के साथ करीबी रूप से जुड़ जाएगा। यही नहीं भारत अपने हथियारों की निर्भरता को रूस से घटा सकेगा और अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देशों से अत्याधुनिक हथियार मिल सकेंगे। भारत ने अमेरिकी कंपनियों से अरबों डॉलर के हथियार पिछले एक दशक में खरीदे हैं। यही वजह है कि बाइडेन यूक्रेन संकट को एक अवसर के रूप में देख रहे हैं। भारत का चीन के साथ तनाव चल रहा है और उसे घातक हथियारों की सख्त जरूरत है। चीन ने बड़े पैमाने पर हथियार और 50 हजार से अधिक सैनिक लद्दाख में तैनात कर रखे हैं।
भारत रूस दोस्ती तोड़ने का प्रयास
अमेरिका को भारत से दोस्ती बढ़ाकर दूसरा फायदा रूस को घेरने को लेकर होगा। भारत रूस का अभिन्न मित्र रहा है लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं और नई दिल्ली ने चीन को देखते हुए अपनी विदेश में बदलाव करना तेज कर दिया है। भारत अगर रूसी हथियारों से निर्भरता को घटाता है तो इससे रूस की कंपनियों को अरबों डॉलर का घाटा होगा। भारत रूस के हथियारों का सबसे बड़ा खरीददार है। साथ ही भारत के हटते ही रूस अलग-थलग पड़ जाएगा। हालांकि भारत ने साफ किया है कि वह अमेरिका की खातिर रूस से अपनी दोस्ती को नहीं तोड़ेगा।
भारत के लिए सुनहरी मौका
विश्लेषकों के मुताबिक क्वाड देशों ने ऐलान किया है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में 50 अरब डॉलर का निवेश अगले 5 साल में इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए किया जाएगा। माना जा रहा है कि यह अरबों डॉलर का निवेश चीन के बेल्ट एंड रोड कॉरिडोर को टक्कर देने के लिए किया गया है। इस फंड से अगर भारत में भी निवेश होता है तो भारत सप्लाइ चेन के मामले में चीन का बेहतरीन विकल्प बन जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि जापानी पैसे, अमेरिकी तकनीक और भारत कामगारों की ताकत से पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र का आर्थिक नक्शा बदल सकता है। यह चीन के लिए अगले 5 साल में खतरे की घंटी बन सकता है।