Edited By Ravi Pratap Singh,Updated: 12 Jul, 2019 01:22 PM
आधुनिक समाज में लोगों को प्रोत्साहित करने के उदेश्य से अवार्ड देने की परंपरा शुरू हुई। धीरे-धीरे इसे हर क्षेत्र ने अपना लिया। इससे लोगों में अपनी प्रतिभा और काम के प्रति समर्पण का भाव बढ़ाने में मदद मिली।
आधुनिक समाज में लोगों को प्रोत्साहित करने के उदेश्य से अवार्ड देने की परंपरा शुरू हुई। धीरे-धीरे इसे हर क्षेत्र ने अपना लिया। इससे लोगों में अपनी प्रतिभा और काम के प्रति समर्पण का भाव बढ़ाने में मदद मिली। साथ ही अवार्ड पाने वाले लोग दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 2018 में पुलिस थानों की रैंकिंग प्रणाली शुरू की।
देश में 15000 हजार से अधिक पुलिस थाने हैं। इनमें राजस्थान के बिकानेर जिले के कालु पुलिस थाने ने देश में पहला स्थान हासिल किया है। थाने के प्रभारी परमेश्वर सुथार थे। यहां 30 पुलिसकर्मियों का स्टाफ है। फिलहाल सुथार का तबादला चुनावढ़ पुलिस थाने में हो गया है। मौजूदा समय में कालु थाने के प्रभारी देवी लाल सहरन हैं। दूसरे स्थान व तीसरे स्थान पर क्रमशः अंडमान निकोबार का कैंपबेल बे और पश्चिम बंगाल का फरक्का पुलिस थाना रहा। राजस्थान के दो पुलिस थाने शीर्ष दस में अपना स्थान बनाने में कामयाब रहे। राजस्थान का दूसरे पुलिस थाना लखेरी सातवें स्थान पर आया। कालु थाने की सीमा में 25 गांव आते हैं।
गुजरात के केवडिया शहर में एक कार्यक्रम कर इन्हें विजेता थानों को अवार्ड दिए गए। ये अवार्ड दो श्रेणियों में दिए गए। पहली श्रेणी में देश के शीर्ष तीन पुलिस स्टेशनों को और दूसरी श्रेणी में राज्य स्तर में शीर्ष में आए थानों को।
अवार्ड देना का क्या रहा पैमाना?
- महिलाओं के खिलाफ दोषियों को सजा की दर
- जांच की गुणवत्ता
- अपराध पर नियंत्रण के लिए प्रतिक्रिया का समय
- जनता के प्रति पुलिस का व्यवहार और रवैया
- कम्युनिटि पुलिसिंग
- अपराध का रिकॉर्ड
- अपराधियों पर नजर
- थाने की साफ-सफाई