रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने G20 की बैठक में पश्चिमी देशों पर बोला हमला

Edited By Tanuja,Updated: 04 Mar, 2023 01:15 PM

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रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने दिल्ली में पहले जी 20 की बैठक में पश्चिम पर निशाना साधते हुए  कहा कि पश्चिमी देशों ने अभी भी अपनी...

इंटरनेशनल डेस्कः रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने दिल्ली में पहले जी 20 की बैठक में पश्चिम पर निशाना साधते हुए  कहा कि पश्चिमी देशों ने अभी भी अपनी पुरानी आदतों को नहीं छोड़ा है। पश्चिम अभी भी वैश्विक समुदाय के हितों पर विचार किए बिना अपने हितों को बढ़ावा दे रहा है ।   रूसी  विदेश मंत्री ने शुक्रवार को रायसीना डायलॉग में बात करते हुए कहा कि  मास्को-कीव संघर्ष से  देश इतने प्रभावित नहीं हैं उनके कष्टों के पीछे असली कारण है ब्लैकमेल और प्रतिबंध। यह यूक्रेन में रूसी हर चीज के खिलाफ युद्ध है।

 

लावरोव ने आश्चर्य जताया कि यूक्रेन ने अपने क्षेत्र में रूसी भाषा को पूरी तरह से रद्द कर दिया लेकिन कीव से किसी ने सवाल नहीं पूछा । उन्होंने कहा, "हमारे पश्चिमी मित्र माइक्रोफोन पर 'रूसी चाहिए' चिल्ला रहे थे  हालांकि विकासशील देशों के प्रतिनिधि भी कह रहे थे कि 'जब रूस बातचीत के लिए तैयार है तो हम युद्ध को रोकना चाहते हैं'।" लावरोव ने आगे कहा कि उन्होंने बाली शिखर सम्मेलन के दौरान घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने वाले जी20 सदस्यों से यह सवाल पूछा कि क्या समूह ने कभी इराक, लीबिया, अफगानिस्तान या यूगोस्लाविया में घोषणाओं की स्थिति को प्रतिबिंबित किया है।
 

सर्गेई लावरोव  शुक्रवार को कहा कि यूक्रेन ने मिन्स्क समझौते सहित सब कुछ रद्द कर दिया है।  उन्होंने कहा कि यह समझौता रूस सशस्त्र रूसी अलगाववादी समूहों और यूक्रेन के सशस्त्र बलों के बीच लड़े गए डोनबास युद्ध को समाप्त करने के लिए किए गए समझौते में शामिल था। उन्होंने कहा कि मिन्सक समझौते को लागू करना बहुत मुश्किल काम नहीं था। यह समझौता यूक्रेन के पूर्व के एक छोटे हिस्से के लिए विशेष स्थिति के बारे में था, जो अब रूसी सेना द्वारा नियंत्रित किया जाता है। रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने कहा कि नाटो को विस्तार करने की कोई योजना नहीं थी। 

 

रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने साल 1999 के शिखर सम्मेलन को याद करते हुए कहा कि यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन में राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों द्वारा राजनीतिक घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें कहा गया था कि सुरक्षा अविभाज्य है और OSC प्रतिभागी सभी समान और अविभाज्य सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने आगे कहा कि प्रत्येक देश गठबंधन चुनने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन ऐसा करने में कोई भी देश दूसरों की सुरक्षा की कीमत पर अपनी सुरक्षा को मजबूत करने का प्रयास नहीं कर सकता है। नाटो इस मामले में प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन किया है। मिन्स्क समझौते पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि उनका कभी भी इस विशेष सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को लागू करने का इरादा नहीं था। हालांकि उनको छोड़कर सभी ने इस समझौते को स्वीकार कर लिया।

 

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