Trump’s Tough Call: भारत की इन 6 कंपनियों पर अमेरिका का बैन, ईरान कनेक्शन से मचा हड़कंप

Edited By Updated: 31 Jul, 2025 09:30 PM

six indian companies ban by us president donald trump

अमेरिका ने ईरान के खिलाफ अपनी सख्त आर्थिक रणनीति को और तेज करते हुए 24 अंतरराष्ट्रीय कंपनियों पर ताजा प्रतिबंधों का ऐलान किया है। इनमें भारत की छह कंपनियां भी शामिल हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह कदम बुधवार देर रात उठाया, जिससे वैश्विक...

नई दिल्ली/वॉशिंगटन – अमेरिका ने ईरान के खिलाफ अपनी सख्त आर्थिक रणनीति को और तेज करते हुए 24 अंतरराष्ट्रीय कंपनियों पर ताजा प्रतिबंधों का ऐलान किया है। इनमें भारत की छह कंपनियां भी शामिल हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह कदम बुधवार देर रात उठाया, जिससे वैश्विक स्तर पर व्यापारिक और कूटनीतिक हलचल बढ़ गई है।

इन कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने 2024 में ईरान से प्रतिबंधित रसायन और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त की। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इन कंपनियों ने USE के रास्ते 1000 करोड़ रुपये से अधिक के ईरानी उत्पाद आयात किए। अमेरिका का कहना है कि इनसे होने वाली कमाई का इस्तेमाल ईरान अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को बढ़ाने और आतंकी संगठनों को फंड देने के लिए कर रहा है।

किस-किस देश की कंपनियां निशाने पर?
भारत
: 6 कंपनियां

चीन: 7 कंपनियां

संयुक्त अरब अमीरात (UAE): 6 कंपनियां

हॉन्गकॉन्ग: 3 कंपनियां

तुर्की और रूस: प्रत्येक से 1 कंपनी

इन 6 भारतीय कंपनियों पर क्या आरोप हैं?

-Alchemical Solutions Pvt. Ltd.

सबसे बड़ी कार्रवाई इसी पर हुई है। जनवरी से दिसंबर 2024 के बीच करीब 84 मिलियन डॉलर (लगभग ₹700 करोड़) के ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों का आयात किया।

-Global Industrial Chemicals Ltd.

जुलाई 2024 से जनवरी 2025 के बीच 51 मिलियन डॉलर (₹425 करोड़) से अधिक का मेथनॉल और अन्य उत्पाद खरीदे।

-Jupiter Dye Chem Pvt. Ltd.

इसी अवधि में 49 मिलियन डॉलर के टोल्यून समेत अन्य केमिकल्स का आयात किया।

-Ramaniklal S. Gosalia & Company

कंपनी ने 22 मिलियन डॉलर मूल्य के पेट्रोकेमिकल्स, मुख्यतः मेथनॉल और टॉल्युइन, मंगवाए।

-Persistent Petrochem Pvt. Ltd.

अक्टूबर से दिसंबर 2024 के बीच 14 मिलियन डॉलर का ईरानी मेथनॉल खरीदा गया।

-Kanchan Polymers

इस कंपनी पर 1.3 मिलियन डॉलर के ईरानी पॉलीइथिलीन प्रोडक्ट्स खरीदने का आरोप है।

अमेरिका का दावा और मकसद
अमेरिका के अनुसार, इन कंपनियों की मदद से ईरान प्रतिबंधों की परवाह किए बिना अपना तेल और केमिकल कारोबार चला रहा है। इससे जो पैसा आता है, उसका इस्तेमाल मध्य-पूर्व में अस्थिरता फैलाने और आतंकवाद को समर्थन देने में किया जाता है।

विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इन प्रतिबंधों का उद्देश्य सजा देना नहीं, बल्कि ईरान और इन कंपनियों के व्यवहार में बदलाव लाना है। प्रतिबंधित कंपनियां अमेरिकी ट्रेजरी विभाग में अपील कर सकती हैं, जिससे प्रतिबंध हटाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

अमेरिका की कार्रवाई का ईरानी जवाब
ईरान ने अमेरिका की इन कार्रवाइयों को "आर्थिक साम्राज्यवाद" करार दिया है। ईरानी दूतावास ने बयान जारी कर कहा, "अमेरिका अपनी अर्थव्यवस्था को हथियार बनाकर स्वतंत्र देशों जैसे भारत और ईरान की प्रगति को रोकने की कोशिश कर रहा है। यह न केवल अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है, बल्कि संप्रभुता पर सीधा हमला है। ग्लोबल साउथ को ऐसी नीतियों का विरोध कर एकजुटता दिखानी चाहिए।"

पहले भी भारतीय कंपनियों पर लग चुके हैं प्रतिबंध
यह 2025 में दूसरी बार है जब अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय कंपनियों को निशाना बनाया है। फरवरी 2025 में भी चार भारतीय कंपनियों को ईरानी पेट्रोलियम उत्पादों की अवैध शिपिंग और व्यापार में भागीदारी के चलते ब्लैकलिस्ट किया गया था:

  1. Flux Maritime LLP (नवी मुंबई)
  2. BSM Marine LLP (दिल्ली-NCR)
  3. Austinship Management Pvt. Ltd. (दिल्ली-NCR)
  4. Cosmos Lines Inc. (तंजावुर)

इनमें से तीन कंपनियों पर ईरानी जहाजों का तकनीकी और वाणिज्यिक प्रबंधन करने का आरोप था, जबकि कॉसमॉस लाइन्स को सीधे ईरानी ऑयल के ट्रांसपोर्ट में लिप्त पाया गया।

प्रतिबंधों का असर क्या होगा?
-प्रतिबंधित कंपनियों की अमेरिका में सभी संपत्तियां फ्रीज कर दी गई हैं।
-अमेरिकी नागरिक या कंपनियां अब इनसे कोई भी व्यापार नहीं कर सकतीं।
-जिन अन्य कंपनियों में इनका 50% से अधिक हिस्सा है, वे भी प्रतिबंधों के दायरे में आ जाएंगी।
-इनके वैश्विक बिजनेस ऑपरेशंस पर बड़ा असर पड़ सकता है, खासकर अगर ये अंतरराष्ट्रीय फाइनेंशियल सिस्टम में भाग लेती हैं।

ट्रंप की ‘मैक्सिमम प्रेशर’ नीति की वापसी
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में ईरान पर “मैक्सिमम प्रेशर” नीति लागू की थी, जिसमें उसके तेल और गैस सेक्टर को निशाना बनाकर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए थे। अब एक बार फिर उसी रणनीति को नए सिरे से लागू किया जा रहा है, जिससे ईरान की अर्थव्यवस्था को घेरने की कोशिश की जा रही है।

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