तेलंगाना विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच रोकने का आदेश दिया

Edited By rajesh kumar,Updated: 13 Mar, 2023 07:44 PM

supreme court orders cbi to stop the investigation

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कहा कि वह तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के विधायकों को तोड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कथित साजिश मामले की जांच को रोक दे।

नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कहा कि वह तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के विधायकों को तोड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कथित साजिश मामले की जांच को रोक दे। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने तेलंगाना सरकार की ओर से इस संबंध में उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सीबीआई को इस मामले में अपनी जांच फिलहाल नहीं करनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
तेलंगाना पुलिस ने कई तर्क के माध्यम से उच्च न्यायालय के छह फरवरी के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच के निर्देश को जारी रखने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत के समक्ष तेलंगाना पुलिस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने दलील देते हुए कहा कि उन्होंने (राज्य सरकार ने) अभी तक मामले से संबंधित दस्तावेज केंद्रीय एजेंसी को नहीं सौंपी है।

बीआरएस सरकार ने लगाए आरोप
तेलंगाना की बीआरएस सरकार ने आरोप लगाया है कि ‘उनकी सरकार को गिराने के लिए' भाजपा के कुछ शीर्ष नेताओं ने उसके चार विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश की। इस मामले में तेलंगाना पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, विधायक रोहित रेड्डी ने आरोप लगाया कि आरोपी ने 26 अक्टूबर 2022 को उन्हें 100 करोड़ रुपए की पेशकश की और बदले में विधायक को बीआरएस छोड़ना था। तेलंगाना सरकार ने नौ नवंबर 2022 को मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया था, जिसमें राज्य के पुलिस अधिकारी शामिल थे।

शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपनी अपील में राज्य सरकार ने दावा किया कि उच्च न्यायालय ने 'अनावश्यक रूप से' निष्कर्ष निकाला है कि तीन नवंबर 2022 को मुख्यमंत्री द्वारा सीडी जारी करना जांच में हस्तक्षेप करने जैसा है। राज्य सरकार की याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय यह मानने में विफल रहा है कि सीबीआई सीधे केंद्र सरकार के अधीन काम करती है। यह केंद्रीय जांच एजेंसी प्रधानमंत्री और गृह मंत्रालय के कार्यालय के नियंत्रण में है। याचिका में दावा किया गया है कि 'केंद्र सरकार में भाजपा सत्ता में है।

मामले को सीबीआई को जांच नहीं- SC
प्राथमिकी में आरोप स्पष्ट है कि भाजपा सत्ताधारी दल है, जो तेलंगाना सरकार को अस्थिर करने के लिए अवैध और आपराधिक तरीके अपना रही हैं। इसलिए उच्च न्यायालय इस मामले को सीबीआई को जांच के लिए नहीं सौंप सकता।' याचिका में यह भी दावा किया गया है कि उच्च न्यायालय के फैसले ने 'लोकतंत्र, कानून के शासन और विधिवत चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने के लिए लोक सेवक विधायकों की रिश्वतखोरी को रोकने के प्रयासों के सवाल पर बहुत गंभीर और मौलिक सवाल उठाए।' शीर्ष अदालत ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जांच पर रोक लगाने का आदेश देते हुए कहा कि वह अगली सुनवाई जुलाई में करेगी।

 

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