भारत की कंपनियों का ब्याज चुकाने का स्तर 3 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचा

Edited By Updated: 30 Jun, 2025 06:19 PM

the interest payment level of indian companies reached the highest level

ET Intelligence Group के आंकड़ों के मुताबिक, भारत की कंपनियों ने वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में अपना कुल ब्याज कवरेज अनुपात (ICR) बढ़ाकर 5.8 गुना कर लिया है, जो पिछले तीन वर्षों में सबसे ऊंचा स्तर है। यह सुधार बेहतर मुनाफा और कम ब्याज लागत के...

नेशनल डेस्क: ET Intelligence Group के आंकड़ों के मुताबिक, भारत की कंपनियों ने वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में अपना कुल ब्याज कवरेज अनुपात (ICR) बढ़ाकर 5.8 गुना कर लिया है, जो पिछले तीन वर्षों में सबसे ऊंचा स्तर है। यह सुधार बेहतर मुनाफा और कम ब्याज लागत के कारण संभव हुआ है।

2,658 गैर-वित्तीय कंपनियों के एक सामान्य समूह का ICR वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में 4.8 गुना था, लेकिन इसके बाद लगातार दो तिमाहियों में इसमें सुधार आया है।

इनपुट लागत में कमी से बढ़े मार्जिन

कच्चे माल की कीमतों और वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण निर्माताओं और उपभोक्ता क्षेत्र की कंपनियों को अच्छा मुनाफा हुआ। मार्च तिमाही में इन कंपनियों के परिचालन मार्जिन (ऑपरेटिंग मार्जिन) में पिछले साल के मुकाबले 110 आधार अंक की बढ़ोतरी हुई और यह 15.3% पर पहुंच गया।

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, “कम इनपुट लागत और कम होती मुद्रास्फीति ने चौथी तिमाही के परिचालन मार्जिन को बढ़ावा दिया, जिससे विनिर्माण और उपभोक्ता क्षेत्रों की दक्षता में सुधार हुआ।”

EBIT की बढ़त ब्याज खर्च से ज्यादा

परिचालन लाभ (EBIT) में सालाना आधार पर 12.7% की बढ़ोतरी हुई, जबकि ब्याज खर्च सिर्फ 6.8% बढ़ा। वेंचुरा सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख विनीत बोलिंजकर ने कहा, “कमोडिटी की कीमतों में राहत से कच्चे माल के बिल में भारी कटौती हुई और मुनाफा बढ़ा।”

सितंबर 2024 की तिमाही को छोड़कर, भारत की कंपनियां पिछले दो सालों से ICR को 5 गुना से ऊपर बनाए हुए हैं।

आगे की उम्मीदें

  • विश्लेषकों का मानना है कि घरेलू ब्याज दरों में गिरावट से ब्याज लागत और कम हो सकती है। हालांकि, ICR में भविष्य में और सुधार कंपनियों की आय पर भी निर्भर करेगा।
  • कच्चे माल की कीमतें अभी भी मध्यम स्तर पर हैं और ब्याज दरों में कटौती हो रही है, जिससे कंपनियों को कर्ज चुकाने में और राहत मिल सकती है, बशर्ते उनका परिचालन प्रदर्शन मजबूत बना रहे।

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