Edited By Mehak,Updated: 19 Nov, 2025 03:47 PM

भारत में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस तेजी से बढ़ रहा है, जिससे सामान्य दवाएं भी कई तरह के बैक्टीरिया पर असर नहीं कर रहीं। लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार, 83% भारतीय मरीजों में मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंट बैक्टीरिया पाए गए। दवाओं का गलत उपयोग, बिना डॉक्टर सलाह के...
नेशनल डेस्क : भारत में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस तेजी से बढ़ता जा रहा है और यह स्थिति आने वाले समय में एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन सकती है। एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस वह स्थिति है, जब शरीर में मौजूद बैक्टीरिया दवाओं का प्रभाव स्वीकार नहीं करते। आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाएं संक्रमण पैदा करने वाले कीटाणुओं को खत्म करती हैं, लेकिन जब ये दवाएं असर खोने लगती हैं, तो साधारण इलाज भी बेहद मुश्किल हो जाता है।
लैंसेट-eClinical Medicine की नई रिपोर्ट में गंभीर खुलासा
द लैंसेट-eClinical Medicine में प्रकाशित एक ताज़ा शोध ने भारत को एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के 'एपिसेंटर' यानी केंद्र के रूप में चिन्हित किया है। अध्ययन के अनुसार, देश में 83% मरीजों में ऐसे बैक्टीरिया पाए गए, जो कई तरह की एंटीबायोटिक पर असर नहीं दिखाते। इसमें भी 70% से अधिक मामलों में ESBL-producing बैक्टीरिया मिले। ये वही जीवाणु हैं जो सामान्य एंटीबायोटिक को तुरंत बेअसर कर देते हैं। इतना ही नहीं, करीब 23% मरीजों में ऐसे बैक्टीरिया भी पाए गए जो सबसे ताकतवर एंटीबायोटिक दवाओं को भी मात दे रहे हैं।
क्यों बढ़ रहा है एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस?
विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे कई बड़ी वजहें जिम्मेदार हैं:
- बिना डॉक्टर के एंटीबायोटिक लेना - सर्दी-खांसी जैसी छोटी बीमारियों में भी लोग खुद से दवाएं शुरू कर देते हैं।
- दवा का पूरा कोर्स पूरा न करना - कई लोग ठीक होते ही दवा बंद कर देते हैं, जिससे बैक्टीरिया दवाओं के अनुसार खुद को बदल लेते हैं।
- कृषि और पशुपालन में एंटीबायोटिक का अत्यधिक उपयोग - जानवरों और खेती में दवाओं का अधिक इस्तेमाल भी प्रतिरोधी बैक्टीरिया पैदा करता है।
- गलत प्रिस्क्रिप्शन और फर्जी दवाएं - गलत दवाएं या घटिया गुणवत्ता वाले एंटीबायोटिक बैक्टीरिया को और ज्यादा मजबूत बनाते हैं।
- अस्पतालों में कमजोर संक्रमण नियंत्रण - संक्रमण से निपटने की अपर्याप्त व्यवस्था अस्पतालों को सुपरबग्स का हॉटस्पॉट बना देती है।
- इन सभी कारणों का मिलाजुला प्रभाव ऐसे 'सुपरबग' पैदा कर रहा है, जो सामान्य एंटीबायोटिक से बिल्कुल भी प्रभावित नहीं होते।
स्टडी का बड़ा निष्कर्ष
रिपोर्ट बताती है कि अब यह समस्या केवल अस्पतालों तक सीमित नहीं है। एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट बैक्टीरिया पानी, भोजन और हमारे आसपास के वातावरण में भी तेजी से फैल रहे हैं। इसलिए यह मुद्दा एक बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट की तरह उभर रहा है।
क्या खतरा और बढ़ सकता है?
अगर यह स्थिति कंट्रोल नहीं हुई, तो:
- साधारण संक्रमण भी गंभीर बीमारी में बदल सकते हैं
- इलाज लंबा और महंगा हो जाएगा
- जटिल ऑपरेशन और गंभीर बीमारियों का इलाज कठिन हो जाएगा
- नई एंटीबायोटिक आने में कई वर्ष लगते हैं, इसलिए विकल्प सीमित रह जाएंगे
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकता है।
क्या जरूरत है?
- लोगों में एंटीबायोटिक के सही उपयोग को लेकर जागरूकता
- डॉक्टर की सलाह के बिना दवाएं न लेना
- दवा का पूरा कोर्स करना
- अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण को मजबूत करना
- पशुपालन और कृषि में एंटीबायोटिक के उपयोग को सीमित करना
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को रोकना अभी भी संभव है, लेकिन इसके लिए सरकार, डॉक्टरों और आम लोगों सबको मिलकर जिम्मेदारी निभानी होगी।