दादी को बेहोश कर ब्वॉयफ्रेंड को बुलाया करती थी... संत प्रेमानंद के आगे रो पड़ी 18 साल की लड़की

Edited By Updated: 09 Jul, 2025 11:13 AM

vrindavan news 18 year old girl premanand ji maharaj

वृंदावन के एक शांत, आध्यात्मिक माहौल में हाल ही में एक ऐसा वाकया सामने आया जिसने वहां मौजूद हर किसी को हिला कर रख दिया। देश-विदेश से श्रद्धालु जहां प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन और जीवन मार्गदर्शन के लिए आते हैं, वहीं एक 18 साल की लड़की वहां अपने...

नेशनल डेस्क: वृंदावन के एक शांत, आध्यात्मिक माहौल में हाल ही में एक ऐसा वाकया सामने आया जिसने वहां मौजूद हर किसी को हिला कर रख दिया। देश-विदेश से श्रद्धालु जहां प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन और जीवन मार्गदर्शन के लिए आते हैं, वहीं एक 18 साल की लड़की वहां अपने भीतर छिपे अंधेरे को उजागर करने और उजाले की तलाश में पहुंची थी।

वह लड़की एक साधारण श्रद्धालु की तरह नहीं आई थी। उसने अपनी जिंदगी के कुछ ऐसे कड़वे सच प्रेमानंद जी महाराज के सामने रखे, जिन्हें सुनकर आश्रम में मौजूद सभी लोग स्तब्ध रह गए। उसने बताया कि कैसे नशे और भटकाव ने उसकी सोच और जीवन को पूरी तरह बर्बाद कर दिया।

 मैं सिर्फ 18 की हूं, लेकिन मैंने सबकुछ बिगाड़ लिया 
लड़की ने रोते हुए स्वीकार किया कि वह नशे की लत में फंस चुकी है – शराब, सिगरेट और बेकाबू व्यवहार उसकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया था। लेकिन सबसे चौंकाने वाला खुलासा उसने तब किया, जब उसने बताया कि एक बार वह एक पुरुष को घर लाना चाहती थी, और इसके लिए उसने अपनी दादी को नशे की दवा देकर सुला दिया।

अब पछतावा है, बदलना चाहती हूं
वह बोली, "महाराज जी, मुझे नहीं पता मैं क्या बन गई हूं। मैंने सब गलत किया, पर अब मैं बदलना चाहती हूं, सच में बदलना चाहती हूं।" उसकी आंखों में अपराधबोध और मदद की गुहार थी।

प्रेमानंद जी का कड़ा लेकिन उम्मीदभरा जवाब
संत प्रेमानंद जी ने बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा, "अगर तुम सच में सुधारना चाहती हो, तो ये पहला कदम है। लेकिन याद रखो – जब तक तुम खुद को नहीं बदलना चाहोगी, तब तक दुनिया की कोई ताकत तुम्हें नहीं बदल सकती।"

उन्होंने उसे दो बातें मजबूती से समझाई:
-नशा और गलत संगति तुरंत छोड़ो।
-बीते कल पर मिट्टी डालो और आगे की सोचो।

तुममें वही ताकत है जिसने दादी को नशा दिया
जब लड़की ने कहा कि अब उसमें हिम्मत नहीं बची है, तब महाराज जी ने कड़ाई से जवाब दिया, “तुममें हिम्मत नहीं है? तुम वही हो जिसने शराब पी, सिगरेट पी, दादी को नशा दिया – ये करने की ताकत थी, तो सुधारने की भी होगी! धिक्कार है अगर इंसान अपने कर्मों की जिम्मेदारी से भागे।”

परिवार ने भी तोड़ा रिश्ता, बेदखल करने की धमकी
वह लड़की अकेली नहीं थी, उसका परिवार अब उसे अपनाने से इंकार कर रहा था। माता-पिता ने उसे घर से निकालने की बात कही और बेदखली की प्रक्रिया शुरू कर दी।

महाराज जी ने परिवार को दी सीख – “एक मौका तो दो”
प्रेमानंद जी ने कहा कि जब एक व्यक्ति सुधार के लिए हाथ फैलाए तो समाज और परिवार को भी उसे पकड़ना चाहिए। अगर आज तुमने उसे बाहर निकाला, तो वह और नीचे गिर जाएगी। उसे टॉर्चर मत करो, मौका दो – वरना इसकी दुर्गति तय है।”


 

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