Father-in-law Property: क्या बेटी की तरह दामाद भी बन सकता है ससुर की संपत्ति का वारिस? जानें क्या कहता है कानून

Edited By Updated: 30 Sep, 2025 11:10 AM

what are the rights of a son in law in his father in law s property

भारत में रिश्ते चाहे कितने ही गहरे हों लेकिन जब बात संपत्ति के अधिकार की आती है तो कानूनी नियम और परंपराएं महत्वपूर्ण हो जाती हैं। अक्सर विवाद बेटी के हिस्से को लेकर होता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर कोई दामाद अपने ससुर की संपत्ति में सीधा...

नेशनल डेस्क। भारत में रिश्ते चाहे कितने ही गहरे हों लेकिन जब बात संपत्ति के अधिकार की आती है तो कानूनी नियम और परंपराएं महत्वपूर्ण हो जाती हैं। अक्सर विवाद बेटी के हिस्से को लेकर होता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर कोई दामाद अपने ससुर की संपत्ति में सीधा हिस्सा मांग ले तो क्या होगा? कानूनी रूप से भले ही ससुर और दामाद का रिश्ता पिता-पुत्र जैसा माना जाता हो लेकिन दामाद का अपने ससुर की प्रॉपर्टी पर सीधा कोई अधिकार नहीं होता। यह नियम भारत में लगभग सभी प्रमुख धर्मों पर लागू होता है।

हिंदू उत्तराधिकार कानून और दामाद का स्थान

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 (Hindu Succession Act, 1956) संपत्ति के वितरण के तरीके को बताता है। यह कानून सुनिश्चित करता है कि सभी उत्तराधिकारियों को उनके अधिकार मिलें लेकिन इसमें दामाद को कोई सीधी जगह नहीं दी गई है।

क्यों नहीं मिलता दामाद को हिस्सा?

भारतीय उत्तराधिकार कानून वैध उत्तराधिकारियों की एक सूची तय करता है जिसे 'क्लास 1' और 'क्लास 2' के उत्तराधिकारियों में बांटा गया है:

क्लास 1 (करीबी रिश्तेदार): इसमें व्यक्ति के सबसे करीबी लोग शामिल होते हैं जैसे पत्नी, बेटा, बेटी, मां आदि।

क्लास 2 (दूर के रिश्तेदार): इसमें व्यक्ति के दूर के रिश्तेदार शामिल होते हैं।

इन दोनों ही लिस्ट में दामाद का नाम कहीं भी शामिल नहीं होता है। इसलिए वह सीधे तौर पर ससुर की पैतृक या स्व-अर्जित (Self-acquired) जायदाद में कोई भी हिस्सा नहीं मांग सकता लेकिन अगर बेटी को अपने पिता की प्रॉपर्टी में हिस्सा मिलता है तो दामाद अपनी पत्नी के सहारे (यानी पत्नी की संपत्ति होने के नाते) उस पर अप्रत्यक्ष (Indirect) रूप से हक जता सकता है या उसका इस्तेमाल कर सकता है।

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दामाद को हिस्सा मिलने का एकमात्र कानूनी तरीका

अगर ससुर अपनी खुशी से दामाद को संपत्ति देना चाहते हैं तो इसके दो कानूनी तरीके हैं:

वसीयत (Will) के जरिए: अगर ससुर कानूनी रूप से मान्य वसीयत बनाते हैं और उसमें विशेष रूप से दामाद का नाम लिखते हैं तो ससुर के निधन के बाद उस प्रॉपर्टी पर पूरा कानूनी अधिकार दामाद का हो जाता है।

गिफ्ट डीड (Gift Deed) के जरिए: शादी के समय या किसी भी समय पिता (ससुर) अपनी बेटी और दामाद को उपहार (Gift) के तौर पर प्रॉपर्टी दे सकते हैं। इस प्रॉपर्टी को 'गिफ्ट डीड' के तौर पर रजिस्टर करना बेहद ज़रूरी है ताकि कानूनी रूप से यह दामाद के नाम हो जाए। यह पूरी तरह से ससुर की मर्जी पर निर्भर करता है कि वह अपने दामाद को अपनी संपत्ति में हिस्सा देना चाहते हैं या नहीं।

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अन्य धर्मों के लिए कानून

भारतीय उत्तराधिकार कानून सभी धर्मों पर एक समान लागू नहीं होता है:

मुस्लिम धर्म: अगर ससुर मुस्लिम हैं तो संपत्ति का वितरण शरीयत (Sharia Law) के अनुसार तय किया जाता है। शरीयत के अनुसार ससुर अपनी संपत्ति के केवल 1/3 हिस्से को ही वसीयत के जरिए किसी गैर-उत्तराधिकारी (जैसे दामाद) को दे सकते हैं।

ईसाई धर्म: ईसाई धर्म में भी हिंदुओं के समान वसीयत का बंटवारा होता है और दामाद का सीधा कोई हक नहीं होता। दामाद केवल अपनी पत्नी के हिस्से में आई प्रॉपर्टी पर या ससुर से गिफ्ट में मिली प्रॉपर्टी पर ही हक जता सकता है।

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