राजकोषीय आधार पर पीएम-जीकेएवाई को सितंबर से आगे बढ़ाना उचित नहीं है: व्यय विभाग

Edited By Updated: 24 Jun, 2022 08:29 PM

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नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) गरीबों के लिए मुफ्त अनाज योजना - ‘पीएम-जीकेएवाई’ को सितंबर से आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि इससे सरकारी वित्त पर अत्यधिक बोझ आ सकता है। व्यय विभाग ने यह कहा है।

नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) गरीबों के लिए मुफ्त अनाज योजना - ‘पीएम-जीकेएवाई’ को सितंबर से आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि इससे सरकारी वित्त पर अत्यधिक बोझ आ सकता है। व्यय विभाग ने यह कहा है।
विभाग ने यह भी कहा कि खाद्य सुरक्षा का व्यापक दायरा पहले ही ‘एक गंभीर वित्तीय स्थिति पैदा कर दी है’ और अब जब महामारी का प्रभाव काफी हद तक कम हो गया है, इसकी आवश्यकता नहीं है।
मार्च में, सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) योजना को और छह महीने यानी सितंबर 2022 तक बढ़ा दिया था।
सरकार ने इस योजना पर मार्च तक लगभग 2.60 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं और सितंबर 2022 तक 80,000 करोड़ रुपये और खर्च किए जाएंगे। इससे पीएम-जीकेएवाई के तहत कुल खर्च लगभग 3.40 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। इस योजना में लगभग 80 करोड़ लाभार्थी शामिल हैं।
विभाग ने अपनी मासिक रिपोर्ट में केंद्र की प्रतिकूल वित्तीय स्थिति का हवाला दिया और कहा कि पीएमजीकेएवाई को जारी रखने का हालिया फैसले, उर्वरक सब्सिडी बोझ (यूरिया और गैर-यूरिया दोनों) में भारी वृद्धि, रसोई गैस पर सब्सिडी की पुन: शुरूआत, पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क और विभिन्न उत्पादों पर सीमा शुल्क में कमी ने एक गंभीर वित्तीय स्थिति पैदा कर दी है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि बड़ी सब्सिडी वृद्धि / कर कटौती नहीं की गई है। खाद्य सुरक्षा और वित्तीय आधार विशेष रूप से दोनों ही आधार पर, पीएमजीकेएवाई को इसके वर्तमान विस्तार से आगे जारी रखने की सलाह नहीं दी जा सकती है। प्रत्येक परिवार को 50 किलो अनाज मिल रहा है जिसमें दो रुपये एवं तीन रुपये की मामूली कीमत पर 25 किलो अनाज और 25 किलो मुफ्त दिया जा रहा है। यह गैर-महामारी के समय की आवश्यकता से कहीं अधिक है।’’ व्यय विभाग ने आगे कहा कि इस वित्त वर्ष के लिये बजट में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है। यह ऐतिहासिक मानकों से बहुत अधिक है। राजकोषीय स्थिति में गिरावट गंभीर प्रतिकूल परिणामों का जोखिम पैदा करती है।
बजट में राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत या 16.61 लाख करोड़ रुपये आंका गया था। चालू वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में यह घाटा 74,846 करोड़ रुपये रहा जो पूरे साल के लक्ष्य का 4.5 प्रतिशत है।
पिछले वित्तवर्ष में घाटा 6.71 प्रतिशत या 15.86 लाख करोड़ रुपये था, जो बेहतर कर राजस्व संग्रह के कारण 6.9 प्रतिशत के संशोधित अनुमान से कम है।
चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में 60,939.23 करोड़ रुपये की बढ़ी हुई उर्वरक सब्सिडी के साथ सरकार का वित्त पहले से ही दबाव में है।
इसके अलावा गरीबों को रसोई गैस सब्सिडी पर 6,100 करोड़ रुपये खर्च होंगे, वहीं पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी से अकेले एक लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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