तेल-तिलहन बाजार में सुधार का रुख

Edited By PTI News Agency,Updated: 01 Mar, 2023 08:08 PM

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नयी दिल्ली, एक मार्च (भाषा) दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को तेल-तिलहन कीमतों में सुधार देखने को मिला जिसके बाद सोयाबीन तिलहन को छोड़कर बाकी सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, बिनौला, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल सहित अधिकांश...

नयी दिल्ली, एक मार्च (भाषा) दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को तेल-तिलहन कीमतों में सुधार देखने को मिला जिसके बाद सोयाबीन तिलहन को छोड़कर बाकी सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, बिनौला, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल सहित अधिकांश तेल-तिलहनों में सुधार आया।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि सरकार ने जो सूरजमुखी तेल के शुल्कमुक्त आयात की छूट दे रखी थी उसे अगले एक अप्रैल से बंद करने का फैसला किया है। सूत्रों ने सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि आज से आठ महीने पहले सूरजमुखी का तेल सोयाबीन तेल से 300 डॉलर (25 रुपये किलो) अधिक हुआ करता था लेकिन फिलहाल सूरजमुखी तेल का भाव सोयाबीन तेल से 80 डॉलर (7-8 रुपये किलो) सस्ता हो गया है। इन दोनों ही खाद्य तेलों का जरूरत से कहीं ज्यादा आयात हो चुका है। इसके अलावा सरसों की भी नयी बंपर फसल के साथ-साथ सोयाबीन का भी स्टॉक है। देश को आगे 4-5 महीने तक ‘सॉफ्ट आयल’ (नरम तेल) के मामले में चिंता नहीं करनी होगी। लेकिन आयातित तेल के दाम सरसों की लागत के मुकाबले इतने नीचे हैं कि इन आयातित तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाना होगा नहीं तो सरसों का खपना मुश्किल होगा। इसलिए अब सरकार को सोयाबीन और सूरजमुखी खाद्य तेलों पर जल्द से जल्द आयात शुल्क बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिये और देशी तेल-तिलहन का बाजार विकसित करने की ओर ध्यान देना होगा ताकि किसानों की फसल बिक जाये और आगे वे तिलहन उत्पादन बढ़ाने को प्रेरित हो सकें। इससे देशी तेल-तिलहन की पेराई होने से तेल मिलें चलेंगी, लोगों को रोजगार मिलेगा और हमें तेल खल अधिक मिलेगा।

सूत्रों ने कहा कि निहित स्वार्थ के लिए कुछ लोग सरकार को गुमराह करते हैं और सही जानकारियां समय पर उपलब्ध नहीं कराते और संभवत: ऐसे लोग नहीं चाहते कि देश कभी तेल-तिलहन मामले में आत्मनिर्भर बने। यही लोग नहीं चाहते कि देशी तेल-तिलहन के खपने की स्थिति बनाने के लिए नरम तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाया जाये। ये लोग पाम एवं पामोलीन के बीच शुल्क अंतर बढ़ाने के बारे में तो बोलते हैं लेकिन नरम तेलों पर शुल्क वृद्धि के बारे में क्यों मौन साध लेते हैं जिसकी वजह से देशी तिलहन किसान, तेल उद्योग सभी परेशान हैं? पाम एवं पामोलीन तेल अधिकतम कम आयवर्ग के लोगों के बीच खाया जाता है और इसका हमारे देशी नरम तेलों पर कोई विशेष प्रभाव भी नहीं आता। देश के तेल-तिलहन कारोबार पर असली प्रभाव सोयाबीन, सूरजमुखी जैसे नरम तेलों की घट-बढ़ का होता है इसलिए इन नरम तेलों को पहले नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में सुधार का रुख है।

बुधवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 5,395-5,445 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,825-6,885 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 16,700 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,560-2,825 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,800-1,830 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,760-1,885 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,280 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,900 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,200 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,400 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,500 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 5,330-5,460 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 5,070-5,090 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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