करोड़पति क्यों छोड़ रहे भारत? टैक्स और प्रदूषण तो बहाना है, सरकार ने बताई असली वजह

Edited By Updated: 29 Dec, 2025 08:14 PM

sanjeev sanyal on why indian millionaires moving abroad business competition

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने बताया कि भारतीय करोड़पतियों के विदेश जाने की मुख्य वजह सिर्फ प्रदूषण या टैक्स नहीं, बल्कि बिजनेस सेक्टर में प्रतिस्पर्धा की कमी है। उनके अनुसार, पुराने कारोबारी घरानों के दबदबे और रिसर्च में कम निवेश के कारण...

नेशनल डेस्क : भारत से अमीर और करोड़पति लोगों के विदेश जाने को लेकर अक्सर बहस होती रहती है। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के सदस्य और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने एक अहम पहलू की ओर ध्यान दिलाया है। उनका कहना है कि करोड़पतियों के देश छोड़ने की वजह केवल बेहतर जीवन-स्तर, कम टैक्स या प्रदूषण नहीं है, बल्कि भारत के बिजनेस सेक्टर में बदलाव और प्रतिस्पर्धा की कमी भी एक बड़ा कारण है।

आर्थिक सलाहकार और इतिहासकार संजीव सान्याल ने यह बात एक पॉडकास्ट के दौरान कही। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत के व्यावसायिक एलिट वर्ग (Business Elite) में लंबे समय से जरूरी बदलाव नहीं हो पाए हैं, जिसका असर देश की आर्थिक गतिशीलता पर पड़ रहा है।

भारतीय करोड़पति क्यों बस रहे विदेश में?
संजीव सान्याल के मुताबिक, भारत में बड़े उद्योगों और कारोबारी घरानों पर लंबे समय से वही लोग हावी हैं। नए उद्योगों और नए उद्यमियों को आगे बढ़ने के पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते। जब किसी देश के बिजनेस सेक्टर में नए चेहरे, नई सोच और नई प्रतिस्पर्धा नहीं आती, तो इनोवेशन कमजोर हो जाता है। ऐसे माहौल में कई अमीर लोग अपने कारोबार और निवेश को विदेशों में स्थानांतरित करना ज्यादा सुरक्षित मानते हैं।

उन्होंने कहा कि कई पुराने कारोबारी जोखिम लेने से बचते हैं और बदलाव लाने की बजाय अपने मौजूदा फायदे बचाने पर ज्यादा ध्यान देते हैं। यही कारण है कि वे दुबई जैसे देशों में अपने फैमिली ऑफिस या निवेश केंद्र स्थापित कर लेते हैं। सान्याल के अनुसार, यह समस्या सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि कई अन्य देशों में भी इसी तरह की स्थिति देखने को मिलती है।

रिसर्च और तकनीक में निवेश की कमी
संजीव सान्याल ने यह भी कहा कि भारत के बड़े उद्योगों को रिसर्च और नई तकनीकों में कहीं ज्यादा निवेश करने की जरूरत है। हालांकि, मौजूदा समय में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है। उन्होंने बताया कि कई कंपनियां कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) के तहत तो खर्च करती हैं, लेकिन असली उत्पादन क्षमता बढ़ाने, तकनीक विकसित करने और रिसर्च पर निवेश अपेक्षाकृत कम होता है। इसका नतीजा यह होता है कि लंबे समय में देश की आर्थिक ताकत कमजोर पड़ने लगती है।

युवा उद्यमी जोखिम लेने को तैयार
संज़ीव सान्याल ने भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम की तारीफ करते हुए कहा कि युवा उद्यमी, खासतौर पर बेंगलुरु जैसे शहरों में, जोखिम लेने से नहीं डरते। इसी वजह से स्टार्टअप सेक्टर में तेजी से नए आइडिया और नई कंपनियां सामने आ रही हैं। उनका मानना है कि यही सोच और साहस बड़े उद्योगों में भी आना चाहिए, तभी अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिल सकेगी।

उन्होंने कहा कि किसी भी मजबूत और स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए यह जरूरी है कि असफलता को भी स्वीकार किया जाए। अगर कोई बड़ी कंपनी काम नहीं कर पा रही है, तो उसे बंद होने देना चाहिए, ताकि नई कंपनियों को आगे आने का मौका मिल सके। सान्याल ने जेट एयरवेज और बैंकिंग संकट का उदाहरण देते हुए कहा कि पुराने और कमजोर सिस्टम के टूटने से ही नए अवसर पैदा होते हैं।

करोड़पतियों के पलायन के आंकड़े भी चिंता बढ़ाते हैं
संजीव सान्याल का मानना है कि अगर भारत को आगे बढ़ना है, तो बिजनेस सेक्टर में लगातार बदलाव, नई सोच और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना होगा। तभी देश में निवेश बढ़ेगा और करोड़पतियों का विदेश पलायन भी रुकेगा। गौरतलब है कि हेनले एंड पार्टनर्स की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 3,500 करोड़पति भारत छोड़कर जा सकते हैं। इससे पहले 2023 में यह संख्या 5,100 और 2024 में 4,300 बताई गई थी, जो इस रुझान की गंभीरता को दर्शाता है।

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