NASA की सबसे बड़ी चेतावनी! वैज्ञानिकों भी हुए हैरान, अंदर ही अंदर टाइम बम बनता जा रहा है ये ग्रह

Edited By Updated: 08 Jul, 2025 10:50 AM

solar flare explosion in a star affected by magnetic waves

अभी तक ऐसा माना जाता रहा है कि तारे अपने ग्रहों पर असर डालते हैं, लेकिन HIP 67522b नाम का एक अनोखा ग्रह इस सोच को बदल रहा है। यह ग्रह न सिर्फ अपने तारे के बेहद करीब चक्कर लगा रहा है बल्कि उसमें खतरनाक विस्फोट भी करवा रहा है। वैज्ञानिकों ने इस ग्रह...

नेशनल डेस्क: अभी तक ऐसा माना जाता रहा है कि तारे अपने ग्रहों पर असर डालते हैं, लेकिन HIP 67522b नाम का एक अनोखा ग्रह इस सोच को बदल रहा है। यह ग्रह न सिर्फ अपने तारे के बेहद करीब चक्कर लगा रहा है बल्कि उसमें खतरनाक विस्फोट भी करवा रहा है। वैज्ञानिकों ने इस ग्रह को "चलता-फिरता टाइम बम" तक कह दिया है, क्योंकि इसकी वजह से हर पल धमाकों का खतरा बना रहता है।

कैसा है यह विस्फोटक ग्रह?

HIP 67522b आकार में बृहस्पति जितना बड़ा है लेकिन इसकी कक्षा इसकी खासियत बना रही है। यह अपने तारे के इतने करीब है कि सिर्फ 7 दिनों में एक पूरा चक्कर काट लेता है। इसकी तेज गति और ताकतवर चुंबकीय तरंगें तारे की सतह पर हलचल पैदा करती हैं, जिससे भयानक सोलर फ्लेयर्स यानी सौर विस्फोट फूटते हैं।

तारे पर लगातार हो रहे विस्फोट

NASA के TESS टेलीस्कोप और ESA के Cheops टेलीस्कोप ने मिलकर यह पाया कि जब भी यह ग्रह तारे के सामने से गुजरता है, तो उसकी वजह से 15 सोलर फ्लेयर्स भड़कते हैं। ये फ्लेयर्स इतने शक्तिशाली होते हैं कि तारे की सतह से ऊर्जा और खतरनाक कण अंतरिक्ष में फेंकते हैं। यही नहीं, ये फ्लेयर्स सीधे ग्रह के वायुमंडल को भी जला रहे हैं। ग्रह की चुंबकीय तरंगें तारे के चुंबकीय क्षेत्र में उथल-पुथल मचाती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, ये तरंगें तारे की चुंबकीय रेखाओं को खींचती, तोड़ती और जोड़ती हैं जिससे सोलर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन जैसी घटनाएं होती हैं। इस प्रक्रिया में तारा और ग्रह दोनों को नुकसान पहुंचता है।

वायुमंडल हो रहा है खत्म

HIP 67522b पर लगातार पड़ रही सोलर फ्लेयर्स की मार से उसका वायुमंडल धीरे-धीरे उड़ता जा रहा है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगले 10 करोड़ वर्षों में यह ग्रह नेपच्यून जितना छोटा हो जाएगा। इससे यह भी साबित होता है कि ग्रहों का अंत कैसे हो सकता है।

पहली बार ग्रह ने किया तारे को प्रभावित

यह विज्ञान के लिए बेहद चौंकाने वाला मामला है क्योंकि पहली बार देखा गया है कि कोई ग्रह अपने तारे को इतना गहरा प्रभावित कर रहा है। अब तक माना जाता था कि तारे ही अपने ग्रहों की प्रकृति तय करते हैं लेकिन इस खोज ने इस सोच को पलट कर रख दिया है।

कौन हैं इस रिसर्च के पीछे?

इस रिसर्च का नेतृत्व नेदरलैंड्स की खगोलभौतिकीविद एकातेरिना इलिन कर रही हैं। उन्होंने बताया कि ग्रह की चुंबकीय तरंगें तारे की सतह पर बवंडर मचा रही हैं। यह खोज ब्रह्मांड की संरचना को समझने में एक नई क्रांति ला सकती है।

भविष्य की योजना क्या है?

ESA का नया Plato टेलीस्कोप जल्द ही इन विस्फोटों से निकलने वाली UV और X-Ray ऊर्जा का अध्ययन करेगा। वैज्ञानिक अब और ऐसे ग्रहों की तलाश में जुट गए हैं जो अपने तारे पर असर डालते हैं। इससे ग्रहों की तबाही की प्रक्रिया और ब्रह्मांड के निर्माण के बारे में गहरी जानकारी मिल सकती है। 
यह खोज अंतरिक्ष विज्ञान को नई दिशा दे सकती है। ग्रहों और तारों के संबंध की यह जटिलता हमें यह समझने में मदद करेगी कि किसी ग्रह का जीवनकाल कैसे तय होता है और क्या हमारे सौरमंडल में भी ऐसा कुछ हो सकता है।

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