आखिर क्यों नहीं थम रहा ‘देश में महिलाओं का उत्पीड़न’

Edited By ,Updated: 30 Sep, 2023 04:48 AM

why is the oppression of women not stopping in the country

केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा महिला सुरक्षा के दावों और कानूनों के बावजूद देश में आज भी महिलाएं उतनी ही प्रताडि़त और असुरक्षित हैं जितनी पहले थीं। कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता जब महिलाओं के विभिन्न रूपों में उत्पीडऩ की घटना सामने न आती हो।

केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा महिला सुरक्षा के दावों और कानूनों के बावजूद देश में आज भी महिलाएं उतनी ही प्रताडि़त और असुरक्षित हैं जितनी पहले थीं। कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता जब महिलाओं के विभिन्न रूपों में उत्पीडऩ की घटना सामने न आती हो। मध्य प्रदेश के उज्जैन में 25 सितम्बर शाम को दिल्ली के निर्भया कांड जैसी घटना में बदमाशों ने प्रयागराज की रहने वाली नाबालिगा से बलात्कार के बाद उसके निजी अंगों को नुक्सान पहुंचाने के अलावा उसे अद्र्धनग्न अवस्था में वहीं छोड़ दिया। बताया जाता है अढ़ाई घंटे तक अद्र्धनग्न हालत में बदहवास 8 किलोमीटर यहां-वहां भटकती यह बालिका लोगों द्वारा सूचित करने पर जब पुलिस को मिली तो उसके कपड़े खून से सने हुए थे। मैडीकल रिपोर्ट में उसके साथ बलात्कार की पुष्टि हुई है। हालत गंभीर होने पर उसे इंदौर रैफर किया गया है। 

पुलिस ने इस मामले में एक संदिग्ध आटो चालक, जिसके आटो में खून के निशान मिले हैं, सहित 5 लोगों को हिरासत में लिया है। पूछताछ के दौरान उसने मासूम के साथ ज्यादती करने की बात स्वीकार की है। हालांकि इस घटना को लेकर मध्य प्रदेश पुलिस और प्रशासन की भारी आलोचना हो रही है परंतु मात्र 5 दिनों में ही इसके अलावा भी नारी उत्पीडऩ की रौंगटे खड़े करने वाली घटनाएं सामने आई हैं। 

* 28 सितम्बर को असम के करीमगंज जिले में एक किशोरी की गला घोंट कर हत्या करने के बाद उसके शव से बलात्कार करने के आरोप में एक रेलवे कर्मी सहित 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 
* 27 सितम्बर को असम के ‘दीमा हसाओ’ जिले में गिरफ्तार किए गए सेना के एक मेजर तथा उसकी पत्नी के हाथों उत्पीडऩ की शिकार घरेलू कामकाज के लिए रखी 15 वर्षीय नाबालिग की मां ने पुलिस को दी शिकायत में कहा कि आरोपी दम्पति उसकी बेटी को घंटों नग्न रख कर उसकी पिटाई करते थे, उस पर खौलता पानी तक डालते और उसे कचरा खाने के लिए मजबूर किया जाता था। 

* 24 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पुलिस से सहायता मांगने गई एक 35 वर्षीय दलित महिला से बलात्कार करने के आरोप में पुलिस सब इंस्पैक्टर सुधीर पांडे को निलंबित किया गया। 
* 23 सितम्बर को उत्तर प्रदेश में आगरा के थाना फतेहपुर सीकरी के एक गांव में अपने घर से मजदूरी करने के लिए निकली एक 70 वर्षीय वृद्धा का खून से सना शव गांव के खेतों से बरामद हुआ। इस सिलसिले में पुलिस ने सामूहिक बलात्कार का केस दर्ज किया है। 

* 23 सितम्बर को ही बिहार की राजधानी पटना के खुसरूपुर थाना क्षेत्र में मात्र 1500 रुपए के उधार के लिए सूदखोर बाप-बेटे प्रमोद और अंशु द्वारा एक महादलित महिला को निर्वस्त्र कर पीटने और उसके चेहरे पर पेशाब करने के आरोप में प्रमोद को गिरफ्तार किया गया। महिला का आरोप है कि उसके पति ने कुछ समय पहले प्रमोद कुमार सिंह से 1500 रुपए उधार लिए थे और वे यह रकम चुका भी चुके हैं लेकिन इसके बावजूद वे इसकी मांग करते आ रहे थे। 

इसी तरह की घटनाओं को देखते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जजों माननीय जस्टिस बी.एस. वालिया तथा जस्टिस ललित बत्रा पर आधारित खंडपीठ ने हाल ही में एक केस की सुनवाई करते हुए कहा कि ‘‘बलात्कार किसी भी महिला, जो कभी एक खुश इंसान थी, को भीतर तक हिला देता है, जिसकी पीड़ा उसे जीवन भर झेलनी पड़ती है।’’ महिलाओं के उत्पीडऩ की ये तो मात्र 5 दिनों में सामने आई 4 अलग-अलग राज्यों में हुई घटनाएं हैं। न जाने हर आयु वर्ग की ऐसी कितनी महिलाएं यौन उत्पीडऩ, घरेलू ङ्क्षहसा, कार्यस्थल पर लैंगिक भेदभाव, पक्षपात आदि का शिकार हो रही हैं। 

इन घटनाओं का निष्कर्ष यही है कि अपराधियों को कानून का भय नहीं रहा। अव्वल तो अपराधी पकड़े नहीं जाते और यदि पकड़े जाएं तो छूट जाते हैं तथा केवल लगभग 26 प्रतिशत मामलों में ही सजा हो पाती है। इस तरह के अपराधों में संलिप्त होने वालों पर फास्ट ट्रैक अदालतों में मुकद्दमे चलाकर तुरंत शिक्षाप्रद और कठोरतम दंड देने से ही इस बुराई पर काबू पाया जा सकता है।—विजय कुमार 

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