ब्याज पर ब्याज माफी से 75% कर्जदारों को होगा फायदा, 5 नवंबर तक खाते में आएंगे पैसे

Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Oct, 2020 01:45 PM

75 borrower will benefit from interest waiver on interest

बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिए गए 40 फीसदी से अधिक लोन और 75 फीसदी कर्जदार कम्पाउंड इंटरेस्ट यानी ब्याज-पर-ब्याज से राहत देने के निर्णय से लाभान्वित होंगे। वहीं इससे सरकारी खजाने पर करीब 7,500 करोड़ रुपए का बोझ आएगा। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है

बिजनेस डेस्कः बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिए गए 40 फीसदी से अधिक लोन और 75 फीसदी कर्जदार कम्पाउंड इंटरेस्ट यानी ब्याज-पर-ब्याज से राहत देने के निर्णय से लाभान्वित होंगे। वहीं इससे सरकारी खजाने पर करीब 7,500 करोड़ रुपए का बोझ आएगा। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। 

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सरकार ने पिछले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि वह 2 करोड़ रुपए तक के लोन पर कम्पाउंड इंटरेस्ट से छूट देगी। इसके तहत बैंकों को कम्पाउंड इंटरेस्ट और साधारण ब्याज के बीच अंतर की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। उसने कहा कि यह सुविधा सभी कर्जदारों को मिलेगी। भले ही उसने किस्त भुगतान को लेकर दी गई मोहलत का लाभ उठाया हो या नहीं लेकिन इसके लिए शर्त है कि कर्ज की किस्त का भुगतान फरवरी के अंत तक होता रहा हो यानी संबंधित लोन नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) नहीं हो।

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75% कर्जदारों को मिलेगा लाभ 
क्रिसिल ने एक रिपोर्ट में कहा, इस प्रकार के कर्ज संस्थागत व्यवस्था (बैंक, वित्तीय संस्थान) द्वारा दिए गए कर्ज का 40 प्रतिशत है। इससे 75 प्रतिशत कर्जदारों को लाभ होगा। जबकि सरकार के खजाने पर करीब 7,500 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। इसमें कहा गया है कि अगर यह राहत केवल उन्हीं को दी जाती, जिन्होंने कोविड-19 महामारी (COVID-19 Pandemic) के कारण रिजर्व बैंक द्वारा कर्ज लौटाने को लेकर दी गई मोहलत का लाभ उठाया, तो सरकारी खजाने पर बोझ आधा ही पड़ता।

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5 नवंबर तक खाते में आएगी रकम
सरकार ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों से 5 नवंबर तक पात्र कर्जदारों के खाते में राशि डालने को को कहा है। यह राशि छूट अवधि छह महीने के दौरान संचयी ब्याज और साधारण ब्याज का अंतर के बराबर होगी। क्रिसिल के अनुसार अगर 2 करोड़ रुपए तक कर्ज लेने वाले पात्र कर्जदारों को ब्याज-पर-ब्याज समेत पूरी तरह से ब्याज पर छूट दी जाती तो सरकारी खजाने पर बोझ 1.5 लाख करोड़ रुपए पड़ता। इससे सरकार के साथ-साथ वित्तीय क्षेत्र के लिए वित्तीय मोर्चे पर समस्या होती। छूट योजना के दायरे में MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम), शिक्षा, होम, उपभोक्ता टिकाऊ, क्रेडिट कार्ड, वाहन, पर्सनल लोन, पेशेवेर और उपभोग लोन को शामिल किया गया है।


 

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