Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Sep, 2025 11:58 AM

भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 20% से बढ़ाने पर विचार कर रही है। इस कदम का मकसद इन बैंकों को मजबूत बनाना और उन्हें ऐसी संस्थाओं में बदलना है, जो आसानी से पूंजी जुटा सकें। यह
बिजनेस डेस्कः भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 20% से बढ़ाने पर विचार कर रही है। इस कदम का मकसद इन बैंकों को मजबूत बनाना और उन्हें ऐसी संस्थाओं में बदलना है, जो आसानी से पूंजी जुटा सकें। यह पहल सरकार के व्यापक आर्थिक सुधार एजेंडा का हिस्सा है, जिसमें वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को नई गति देने की तैयारी शामिल है।
विदेशी निवेशकों की बढ़ सकती है दिलचस्पी
यदि यह प्रस्ताव मंजूर होता है तो विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) और अन्य वैश्विक निवेशकों की पीएसबी में दिलचस्पी बढ़ सकती है। इससे बैंकों को पूंजी जुटाने में आसानी होगी, उनके विस्तार और आधुनिकीकरण को गति मिलेगी और फाइनेंशियल सिस्टम पर भरोसा मजबूत होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे क्रेडिट ग्रोथ को भी बढ़ावा मिलेगा।
इतिहास और पृष्ठभूमि
1990 के दशक में आर्थिक उदारीकरण के बाद निजी बैंकों में विदेशी निवेश की सीमा 74% तक बढ़ा दी गई थी, जबकि पीएसबी में यह सिर्फ 20% ही रखी गई। इसका उद्देश्य सरकार का नियंत्रण बनाए रखना था लेकिन समय के साथ यह अंतर निवेश प्रवाह पर असर डालने लगा और विदेशी निवेशक निजी बैंकों की ओर अधिक आकर्षित होने लगे।
सरकार का कहना है कि बदलते वैश्विक परिदृश्य और बढ़ती पूंजी आवश्यकताओं को देखते हुए इस सीमा को संशोधित करना अब आवश्यक हो गया है। यह कदम बैंकिंग सेक्टर को दीर्घकालिक मजबूती देने और अर्थव्यवस्था में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।