चीन छोड़ भागीं कंपनियां, हजारों कर्मचारियों को भेजा घर, 2 करोड़ नौकरियों पर मंडरा रहा खतरा

Edited By Updated: 28 Apr, 2025 12:36 PM

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अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर का असर अब चीनी कंपनियों की नींव तक पहुंच गया है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि चीन के बड़े एक्सपोर्ट हब्स यीवू और डोंगगुआन में फैक्ट्रियों पर ताले लगने लगे हैं और हजारों कर्मचारियों को घर भेजा जा चुका है। टैरिफ के दबाव में आकर...

बिजनेस डेस्कः अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर का असर अब चीनी कंपनियों की नींव तक पहुंच गया है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि चीन के बड़े एक्सपोर्ट हब्स यीवू और डोंगगुआन में फैक्ट्रियों पर ताले लगने लगे हैं और हजारों कर्मचारियों को घर भेजा जा चुका है। टैरिफ के दबाव में आकर खिलौने, खेल का सामान और सस्ते प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनियों ने उत्पादन ठप कर दिया है। गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक, अमेरिका को निर्यात करने वाले सेक्टर में काम कर रहे 1 से 2 करोड़ चीनी कर्मचारियों की नौकरियों पर अब गहरा संकट मंडरा रहा है। कंपनियां नए बाजारों की तलाश में भटक रही हैं, जिससे वैश्विक व्यापार समीकरणों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

चीन में कंपनियां अपना रास्ता बदल रहीं

कुछ फैक्ट्रियां जैसे कि वुड्सवूल (निंगबो स्थित) ने घरेलू बाजार के लिए ऑनलाइन बिक्री शुरू कर दी है।
बायडू, JD.com और Meituan जैसी टेक कंपनियां छोटे कारोबारियों को ऑनलाइन बिक्री और लोकल डिस्ट्रीब्यूशन में मदद कर रही हैं।
हालांकि, चीन के कुल एक्सपोर्ट (524 अरब डॉलर) के मुकाबले यह सहायता अभी बहुत छोटी है।

भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया को मिल सकता है फायदा

चीन की कई कंपनियां अब अमेरिका पर निर्भर नहीं रहना चाहतीं। वे यूरोप, लैटिन अमेरिका और भारत जैसे बाजारों की तरफ रुख कर रही हैं। कुछ कंपनियां भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट खोलने पर भी विचार कर रही हैं।

भारत पर क्या असर पड़ेगा?

1. भारत के लिए बड़ा अवसर:

अमेरिकी कंपनियां जो पहले चीन से सामान लेती थीं, अब भारत की ओर देख रही हैं। मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े, जूते और फर्नीचर जैसे सेक्टर में भारत के एक्सपोर्ट को जबरदस्त फायदा मिल सकता है।

2. घरेलू कारोबार को राहत:

चीन से सस्ता माल कम आने से भारत के घरेलू छोटे कारोबारियों को राहत मिलेगी, क्योंकि प्रतिस्पर्धा थोड़ी कम होगी।

3. कीमतों में उतार-चढ़ाव:

चीन से जरूरी कच्चा माल जैसे मशीन पार्ट्स या मोबाइल कंपोनेंट्स महंगे होने से भारत में लागत बढ़ सकती है।

4. एफडीआई बढ़ने का मौका:

चीन से निकलती कंपनियां भारत में फैक्ट्रियां खोल सकती हैं, जिससे निवेश और रोजगार के नए मौके बन सकते हैं।

5. वैश्विक मंदी का खतरा:

अगर ट्रेड वॉर और बढ़ता है, तो वैश्विक मंदी की आशंका भी बनी रहेगी, जिससे भारत के एक्सपोर्ट पर दबाव आ सकता है।
 

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