Anil Ambani समूह पर ED की बड़ी कार्रवाई, 1,120 करोड़ की संपत्तियां अटैच की

Edited By Updated: 05 Dec, 2025 12:54 PM

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अनिल अंबानी समूह से जुड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 18 से अधिक संपत्तियों, फिक्स्ड डिपॉजिट, बैंक बैलेंस और अनक्वोटेड इन्वेस्टमेंट्स में हिस्सेदारी को अस्थायी रूप से अटैच कर दिया है। कुल कुर्क की गई...

बिजनेस डेस्कः अनिल अंबानी समूह से जुड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 18 से अधिक संपत्तियों, फिक्स्ड डिपॉजिट, बैंक बैलेंस और अनक्वोटेड इन्वेस्टमेंट्स में हिस्सेदारी को अस्थायी रूप से अटैच कर दिया है। कुल कुर्क की गई संपत्तियों का मूल्य लगभग 1,120 करोड़ रुपए है। यह कार्रवाई रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) और यस बैंक धोखाधड़ी के मामलों से जुड़ी है।

अटैच की गई संपत्तियों में ये हैं शामिल

अटैच की गई संपत्तियों में रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की 7 प्रॉपर्टी, रिलायंस पावर लिमिटेड की 2 प्रॉपर्टी, रिलायंस वैल्यू सर्विस प्राइवेट लिमिटेड की 9 प्रॉपर्टी के अलावा विभिन्न कंपनियों के FD, बैंक बैलेंस और अनक्वोटेड इन्वेस्टमेंट्स शामिल हैं।

ED इससे पहले भी RCOM, RCFL और RHFL के बैंक धोखाधड़ी मामलों में 8,997 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्तियां कुर्क कर चुका है। नई कार्रवाई के बाद समूह की कुल अटैच की गई संपत्तियां बढ़कर 10,117 करोड़ रुपए हो गई हैं। जांच में पता चला है कि अनिल अंबानी समूह की कई कंपनियों ने सार्वजनिक धन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया।

ED के अनुसार, 2017–2019 के दौरान Yes Bank ने RHFL के इंस्ट्रूमेंट्स में 2,965 करोड़ और RCFL में 2,045 करोड़ निवेश किया, जो बाद में NPA में बदल गए। RHFL और RCFL ने कुल 11,000 करोड़ से अधिक का सार्वजनिक धन प्राप्त किया, जिसे जटिल वित्तीय मार्गों से समूह की कंपनियों तक पहुंचाया गया।

SEBI के नियम किए गए नजरअंदाज 

जांच में यह भी सामने आया कि SEBI के नियमों का उल्लंघन करते हुए रिलायंस निप्पन म्यूचुअल फंड सीधे निवेश नहीं कर सकता था। इसके बजाय धन को Yes Bank के माध्यम से समूह कंपनियों तक पहुंचाया गया।

ED ने पाया कि 2010 से 2012 के बीच समूह ने देशी-विदेशी बैंकों से बड़ी मात्रा में ऋण लिया, जिनमें से 40,185 करोड़ बकाया रहे और 9 बैंकों ने इसे धोखाधड़ी करार दिया। समूह ने बैंक ऋण का उपयोग कर्ज चुकाने, संबंधित पक्षों को ट्रांसफर करने और म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए किया, जो ऋण शर्तों का उल्लंघन था।

ED ने यह भी कहा कि लगभग 13,600 करोड़ रुपये ‘एवरग्रीनिंग ऑफ लोन’ के माध्यम से इस्तेमाल किए गए, जिनमें से 12,600 करोड़ संबंधित पक्षों को ट्रांसफर किए गए और 1,800 करोड़ FD/MF में निवेश के बाद समूह कंपनियों में रूट किए गए। कुछ राशि विदेशी रेमिटेंस के माध्यम से भारत से बाहर भेजी गई। ED ने स्पष्ट किया है कि वह वित्तीय अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई जारी रखेगा और जनता के धन को उसके असली हकदारों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। जांच अभी जारी है।
 

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